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Diljit Dosanjh Controversy: दिलजीत दोसांझ पर लांछन लगाने से पहले इन 5 तर्कों पर गौर कीजिये

कला को राजनीति से जोड़ना और एक कलाकार को उसके पेशेवर निर्णयों के लिए निशाना बनाना न केवल गलत है, बल्कि क्रि‍एटिव फ्रीडम पर भी हमला है. दिलजीत ने बार-बार साबित किया है कि वे अपनी संस्कृति और देश के प्रति समर्पित हैं.

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दिलजीत दोसांझ की फिल्‍म सरदार जी 3 भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की भेंट चढ़ चुकी है. (Photo: Instagram/ Diljit Dosanjh)
दिलजीत दोसांझ की फिल्‍म सरदार जी 3 भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की भेंट चढ़ चुकी है. (Photo: Instagram/ Diljit Dosanjh)

दिलजीत दोसांझ की आने वाली फिल्‍म सरदार जी 3 भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की भेंट चढ़ चुकी है. और ये बात वे खुद भी मान रहे हैं. लोग इस बात पर भड़के हुए हैं कि फिल्‍म में पाकिस्‍तानी एक्‍ट्रेस हानिया आमिर को क्‍यों जगह दी गई है? दिलजीत और उनके विरोधियों के बीच खूब सारे तर्क-कुतर्कों के तीर चलाए जा रहे हैं. दिलजीत की तमाम सफाइयों को नजरअंदाज करते हुए उनकी फिल्‍मों को बैन करने, उनकी नागरिकता छीने जाने की मांग हो रही है. 

क्‍या है दिलजीत दोसांझ और उनकी फिल्‍म सरदार जी 3 से जुड़ा पूरा विवाद...

सरदार जी 3 एक पंजाबी फिल्म फ्रेंचाइजी का तीसरा हिस्सा है, जिसमें दिलजीत दोसांझ एक भूत शिकारी की भूमिका में हैं. लेकिन, इस फिल्म पर जो चर्चा और विवाद हो रहा है वह इस की पाकिस्‍तानी कलाकार हानिया आमिर के कारण है. दरअसल, इस फिल्‍म का ट्रेलर और रिलीज का दिन ऐसे समय आया है जब देश अप्रैल 2025 में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर गुस्‍से भरा है. जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ने ली हो, ऐसे में भारत के बड़े वर्ग को यह लग रहा है कि दिलजीत भारतीयों पर आतंकी हमला कराने वाले पाकिस्‍तान की अभिनेत्री को अपनी फिल्‍म में जगह कैसे दे सकते हैं? और उसे भारत में रिलीज करने का कैसे सोच सकते हैं? भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के साथ तालमेल को लेकर पहले भी आक्रोश रहा है. लेकिन सरदार जी 3 का ट्रेलर रिलीज होने के बाद  हानिया आमिर की मौजूदगी ने इस गुस्से को और हवा दे दी है. जिस पर फिल्म को भारत में रिलीज न करने का फैसला लिया गया है.

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फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) और ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने दिलजीत और फिल्म के निर्माताओं पर भारत में काम करने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी. इसके अलावा, कुछ हस्तियों जैसे मीका सिंह और गुरु रंधावा ने भी दिलजीत पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा, उन्हें "देश के प्रति वफादारी" पर सवाल उठाते हुए "नकली सिंगर" जैसे शब्दों से नवाजा. लेकिन क्या यह आलोचना वास्तव में जायज है?

1. फिल्म का निर्माण हमले से पहले हुआ था

दिलजीत और फिल्म के निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि सरदार जी 3 की शूटिंग फरवरी 2025 में पूरी हो चुकी थी, जब भारत-पाकिस्तान संबंध सामान्य थे. पहलगाम हमले के बाद तनाव बढ़ा, जो फिल्म के निर्माण के बाद की बात है. दिलजीत ने बीबीसी एशियन नेटवर्क को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "जब यह फिल्म बनी थी, तब स्थिति पूरी तरह ठीक थी. इसके बाद जो हुआ, वह हमारे हाथ में नहीं है." यह तथ्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि हानिया आमिर को कास्ट करने का निर्णय किसी भी तरह से वर्तमान तनावों को नजरअंदाज करने या राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से नहीं लिया गया था. 

निर्माताओं ने भी एक बयान में कहा, "फिल्म की शूटिंग पहलगाम हमले से पहले पूरी हो चुकी थी, और किसी भी पाकिस्तानी कलाकार को हमले के बाद शामिल नहीं किया गया." यह स्पष्ट करता है कि कास्टिंग का निर्णय उस समय लिया गया जब कोई विवाद नहीं था. ऐसे में दिलजीत को मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराना अनुचित है.

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2. भारत में रिलीज न करने का फैसला

विवाद के बाद, दिलजीत और निर्माताओं ने फैसला किया कि सरदार जी 3 भारत में रिलीज नहीं होगी, बल्कि केवल विदेशी बाजारों में रिलीज होगी. यह निर्णय राष्ट्रीय भावनाओं का सम्मान करने और विवाद से बचने के लिए लिया गया. दिलजीत ने बीबीसी इंटरव्‍यू में कहा, "निर्माताओं ने फैसला किया कि फिल्म भारत में रिलीज नहीं होगी, और मैं उनके इस निर्णय का समर्थन करता हूं." यह कदम दर्शाता है कि दिलजीत ने संवेदनशीलता को समझते हुए एक जिम्मेदार रुख अपनाया. 

इसके बावजूद, FWICE और AICWA जैसे संगठनों ने दिलजीत पर भारत में काम करने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी, जो कि अत्यधिक कठोर और अनुचित है. फिल्म को भारत में रिलीज न करने का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है, फिर भी दिलजीत को निशाना बनाना केवल उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है.

3. कला और राजनीति को अलग रखने की जरूरत

दिलजीत ने हमेशा अपनी कला को राजनीति से अलग रखने की कोशिश की है. वे एक कलाकार हैं, जिनका प्राथमिक उद्देश्य मनोरंजन और अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना है. यदि इस तर्क को न भी मानें तो हानिया आमिर के साथ काम करने का उनका निर्णय एक पेशेवर और कलात्मक फैसला था, न कि कोई राजनीतिक बयान. पंजाबी सिंगर जसबीर जस्सी ने भी इस मामले में दिलजीत का समर्थन करते हुए कहा, "हमारी इंडस्ट्री में दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं. भारतीय फिल्मों में विदेशी गायकों के गाने शामिल किए जाते हैं, लेकिन किसी एक पाकिस्तानी कलाकार को निशाना बनाना गलत है." 

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जस्सी का यह तर्क सटीक है. भारतीय फिल्म इंडस्‍ट्री में अक्सर विदेशी कलाकारों और गायकों के साथ तालमेल होता है, लेकिन केवल पाकिस्तानी कलाकारों को निशाना बनाना एक पक्षपातपूर्ण रवैया दर्शाता है. अगर राष्ट्रीय भावनाओं का सवाल है, तो क्या ऐसे सभी तालमेल पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? यह एक अव्यवहारिक और एक्‍सट्रीम एप्रोच होगा.

4. दिलजीत का राष्ट्रीय गौरव के प्रति योगदान

दिलजीत ने बार-बार अपनी पंजाबी संस्कृति और भारतीयता का गौरव बढ़ाया है. 2025 के मेट गाला में, उन्होंने पंजाब का नक्शा और गुरमुखी लिपि के साथ एक कैप पहना, जो विश्व मंच पर भारत की पंजाबी संस्कृति को गर्व के साथ प्रदर्शित करने का प्रतीक था. उन्होंने कहा, "मेरे लिए मेट गाला में जाना महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि पंजाब और पगड़ी का वहां प्रतिनिधित्व होना सबसे बड़ा था." 

इसके अलावा, दिलजीत ने कोचेला म्‍यूजिक फेस्टिवजल में 2023 में पहली बार पंजाबी कलाकार के रूप में प्रदर्शन कर इतिहास रचा. उनकी फिल्में जैसे जट्ट एंड जूलियट और होंसला रख ने पंजाबी सिनेमा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई. ऐसे में, उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाना न केवल अनुचित है, बल्कि उनके योगदान को नजरअंदाज करना भी है.

5. सोशल मीडिया और ट्रोलिंग का प्रभाव

इस विवाद में सोशल मीडिया ने एक नकारात्मक भूमिका निभाई है. कुछ लोगों ने दिलजीत की नागरिकता पर सवाल उठाए, बिना किसी ठोस सबूत के. गुरु रंधावा जैसे कलाकारों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से उन पर निशाना साधा, जो कि अनावश्यक और व्यक्तिगत हमला लगता है. दिलजीत ने हमेशा अपनी सादगी और सकारात्मकता से जवाब दिया है. उन्होंने कहा, "अगर कोई मुझसे नफरत करता है, तो शायद मुझमें ही कुछ कमी है. मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता हूं."

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सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और नकारात्मकता ने इस विवाद को और बढ़ावा दिया है, लेकिन दिलजीत ने इसे गरिमा के साथ संभाला. उनकी यह प्रतिक्रिया उनके परिपक्व और जिम्मेदार व्यक्तित्व को दर्शाती है.

चलते-चलते...

कला को राजनीति से जोड़ना और एक कलाकार को उसके पेशेवर निर्णयों के लिए निशाना बनाना न केवल गलत है, बल्कि क्रि‍एटिव फ्रीडम पर भी हमला है. दिलजीत ने बार-बार साबित किया है कि वे अपनी संस्कृति और देश के प्रति समर्पित हैं. हमें उनके योगदान को सराहना चाहिए, न कि उन्हें अनावश्यक विवादों में घसीटना चाहिए. पाकिस्‍तान की भारत-व‍िरोधी करतूतों का जवाब देने के लिए हमारे पास कई माध्‍यम मौजूद हैं. इसके लिए किसी भारतीय पर लांछन नहीं लगाया जाना चाहिये.

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