'25 से 30, फिर से नीतीश' - ये स्लोगन पटना में जेडीयू ऑफिस के बाहर लगे पोस्ट पर लिखा है. जब भी बीजेपी की तरफ से ऐसा कोई बयान आता है जिसकी वजह से नीतीश कुमार का फिर से मुख्यमंत्री बन पाना शक के दायरे में आ जाये, जेडीयू की तरफ से ऐसा कदम जरूर उठाया जाता है. कभी जेडीयू प्रवक्ता मीडिया के सामने आकर दावे करते हैं, तो कभी ऐसे पोस्टर लगा दिये जाते हैं. कभी कभी सोशल मीडिया पर भी ऐसे पोस्टर शेयर करके कैंपेन चलाया जाता है.
जेडीयू में ताजा बवाल मचा है, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बयान से. दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान नायब सैनी ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का नाम लिया और बीजेपी की चुनावी फतह की बात कर दी, और नीतीश कुमार कैंप में नये सिरे से हड़कंप मच गया.
अब नीतीश कुमार के बेटे निशांत भी मोर्चे पर आ डटे हैं, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हवाला देते हुए मीडिया के सामने दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव होगा, और मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे. निशांत कुमार पहले भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने का दावा कर चुके हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव होने में मुश्किल से छह महीने बचे हैं, और नीतीश कुमार की कुर्सी पर मंडराते संकट के बादल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं - आखिर ऐसी चीजों को हवा क्यों दे रही है?
नीतीश की कुर्सी पर मंडराते खतरे के संकेत
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बस इतना ही कहा था कि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के नेतृत्व में बिहार चुनाव में बी बीजेपी विजय पताका फहराएगी. और, ये सुनते ही जेडीयू नेता एक्टिव हो गये.
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में नायब सैनी ने कहा था, हरियाणा के बाद अब बिहार की बारी है… ये विजय का पताका रुकना नहीं चाहिये... ये विजय का झंडा बिहार के अंदर भी फहराया जाएगा… और हमारे सम्राट चौधरी के नेतृत्व में फहराया जाएगा.
जब जेडीयू नेताओं की तरफ से आपत्ति जताई गई तो सम्राट चौधरी सहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने सफाई दी कि आने वाले चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा हैं, और आगे भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे, इसमें कोई संशय नहीं है.
1. नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार मीडिया के सामने आये हैं, और कह रहे हैं, अमित अंकल (केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) भी कह चुके हैं कि पिताजी (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार) के नेतृत्व में ही चुनाव होगा, और मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे.
निशांत कुमार का ये भी दावा है कि नीतीश कुमार सौ फीसदी फिट हैं. लेकिन, ये दावा हकीकत से मेल नहीं खाता. नीतीश कुमार के कुछ सार्वजनिक ऐक्ट पर सवाल उठने लगे हैं. उनके राजनीतिक विरोधी तो उनकी सेहत को लेकर मेडिकल बुलेटिन जारी करने की मांग तक कर डाले हैं.
2. बिहार बीजेपी के नेता दिलीप जायसवाल का भी कहना है कि नीतीश कुमार ही सीएम फेस होंगे, लेकिन अंतिम मुहर संसदीय बोर्ड ही लगाएगा. मतलब, तब तक मानकर चलना चाहिये कि कुछ भी हो सकता है. अमित शाह ने भी तो ऐसा ही कहा था, लेकिन जब जेडीयू की तरफ से शोर मचाया जाने लगा तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने बीच बचाव करके मामला शांत कराया था.
3. पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का बयान भी नीतीश कुमार कैंप की टेंशन बढ़ाने वाला रहा. अश्विनी चौबे ने सुझाव दे डाला है कि नीतीश कुमार को डिप्टी पीएम बनाया जाना चाहिये.
मतलब, तो यही हुआ कि नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिये. डिप्टी पीएम बनाया जाना तो पक्का नहीं है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री पद को लेकर शक जरूर पैदा हो सकता है.
4. कुछ दिनों पहले गिरिराज सिंह ने तो नीतीश कुमार को भारत रत्न दिये जाने की मांग कर डाली थी. गिरिराज सिंह लंबे अर्से से नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी रहे हैं, और उनकी तरफ से भारत रत्न दिये जाने की मांग तो कटाक्ष ही लगता है.
गिरिराज सिंह के बयान को भी जेडीयू नेताओं ने ऐसे ही समझा कि बताया जा रहा हो कि नीतीश कुमार का कद इतना ऊंचा है कि उनको अब मुख्यमंत्री बना कर नहीं रखा जा सकता.
नीतीश कुमार की कुर्सी पर खतरा क्यों लग रहा है?
1. क्योंकि, बीजेपी महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी अपना मुख्यमंत्री चाहती है, लेकिन अभी तक उसे नीतीश कुमार के कद का कोई नेता नहीं मिल पाया है.
सम्राट चौधरी को भी इसी मकसद से सामने लाया गया है, क्योंकि वो भी नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण में फिट बैठते हैं, लेकिन अब तक वो ऐसा कुछ नहीं दिखा पाये हैं जिससे बीजेपी नेतृत्व उन पर भरोसा करके दांव लगा सके.
2. क्योंकि, नीतीश कुमार के पास पाला बदलने का भी स्कोप करीब करीब खत्म हो चुका है. वक्फ बिल पर संसद में बीजेपी का सपोर्ट करके नीतीश कुमार अपने मुस्लिम वोटर को भी नाराज कर चुके हैं - तभी तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मुर्शिदाबाद हिंसा पर बात करते हुए उनका नाम भी घसीट ले रही हैं.
3. क्योंकि, लालू यादव भी बेटे तेजस्वी यादव को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, और कांग्रेस नेतृत्व भी नीतीश कुमार से खफा है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा के बिहार में एंट्री की पूर्व संध्या पर ही नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन थाम लिया था.
4. क्योंकि, नीतीश कुमार की सेहत भी साथ नहीं दे रही है. अब तो वो पहले की तरह राजनीति भी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे किसी तरह ‘खेला’ कर दिये जाने की कोई संभावना बनती हो.