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MP: पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने का विरोध, संगठन ने दी अब नए आंदोलन की चेतावनी

धार जिले के एक बड़े औद्योगिक केंद्र पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जब भोपाल में बंद पड़े कारखाने से 337 टन खतरनाक कचरे को जलाने के लिए रामकी एनवायरो इकाई में लाया गया था. 

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पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का विरोध.
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का विरोध.

मध्य प्रदेश के पीथमपुर इलाके में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का विरोध कर रहे एक स्थानीय संगठन ने कहा कि अगर राज्य सरकार अपनी योजना पर आगे बढ़ती है तो वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे या फिर नया आंदोलन शुरू करेंगे. 

धार जिले के एक बड़े औद्योगिक केंद्र पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जब भोपाल में बंद पड़े कारखाने से 337 टन खतरनाक कचरे को जलाने के लिए रामकी एनवायरो इकाई में लाया गया था. 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गत सोमवार को राज्य सरकार को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कचरे के निपटान के लिए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया.

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पीथमपुर बचाओ समिति के संयोजक हेमंत हिरोले ने दावा किया कि हाईकोर्ट का आदेश स्थानीय लोगों की भावनाओं के अनुरूप है, जो नहीं चाहते कि शहर के आसपास के क्षेत्र में जहरीले कचरे को जलाया जाए. 

यहां यह उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट  ने इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया कि क्या सरकार को दिसंबर 1984 में गैस रिसाव त्रासदी के बाद 40 वर्षों से भोपाल में यूनियन कार्बाइड की बंद पड़ी कीटनाशक फैक्ट्री में पड़े कचरे के निपटान के लिए किसी अन्य स्थान का चयन करना चाहिए.

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हिरोले ने कहा कि स्थानीय लोग चाहते हैं कि कचरे को सुरक्षित और त्वरित परिवहन के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर कहीं और ले जाया जाए, जैसा कि भोपाल से 220 किलोमीटर दूर पीथमपुर में लाए जाने के समय बनाया गया कॉरिडोर था.

उन्होंने कहा कि यदि सरकार फिर भी मनमानी करती है, तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और न्याय की अपील करेंगे, या फिर पूरी ताकत से सड़कों पर उतरकर जन आंदोलन शुरू करेंगे. साथ ही कहा कि वे 3 जनवरी को किए गए विरोध प्रदर्शन से भी बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे, लेकिन शहर के पास कचरे को जलाने नहीं देंगे.

बता दें कि 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई थी, जिसमें कम से कम 5 हजार 479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे और लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहीं.

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