मध्य प्रदेश के आदिवासी मामलों के मंत्री विजय शाह एक बार फिर कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए. यह दूसरी बार है जब वह विवादित बयान मामले के बाद कैबिनेट मीटिंग से गायब रहे. उनके स्थान पर पीएचई मंत्री संपतिया उइके को बैठे देखा गया.
दरअसल, कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ 12 मई को दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद से मंत्री विजय शाह सुर्खियों में हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था. SIT को 28 मई को अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी है.
अब विजय शाह की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े कर दिए हैं. इससे पहले 20 मई को इंदौर के राजवाड़ा पैलेस में आयोजित विशेष कैबिनेट बैठक में भी वह शामिल नहीं हुए थे, जो अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में थी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उनकी गैरमौजूदगी को 'निजी कारण' बताकर टालने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है.
कांग्रेस ने विजय शाह की गैरमौजूदगी को मुद्दा बनाते हुए इंदौर में उनके 'लापता' होने के पोस्टर लगाए और उनकी बर्खास्तगी की मांग की.
मंत्री विजय शाह ने 24 मई को एक और वीडियो जारी कर माफी मांगी, जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया को 'बहन' कहकर अपनी टिप्पणी को भाषाई भूल बताया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी अपर्याप्त माना. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, शाह के राजनीतिक भविष्य पर फैसला SIT की 28 मई की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश पर निर्भर करेगा.
इस बीच, विपक्ष लगातार शाह के मंत्री पद से इस्तीफे की मांग कर रहा है, जबकि बीजेपी नेतृत्व ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है. सुप्रीम कोर्ट में कल होने वाली सुनवाई और SIT की रिपोर्ट इस मामले में अगला महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी.