मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) परीक्षा के नतीजों में एक संघर्ष, जुनून और जीत कहानी सामने आई है. कभी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे जैनेंद्र कुमार निगम की यह कहानी है. जैनेंद्र अब मध्य प्रदेश पुलिस के DSP यानी पुलिस उपाधीक्षक बन गए हैं.
दरअसल, भिंड जिले के डोंगरपुरा गांव के रहने वाले जैनेंद्र कुमार निगम ने वह मुकाम हासिल कर लिया है, जिसके लिए कभी उनके पिता ने सपना देखा था. जैनेंद्र का यह सफ़र कई झूठे मुकदमों, जेल, और भयानक पारिवारिक दुर्घटनाओं से होकर गुजरा है.
DSP संतोष पटेल के मुताबिक, जैनेंद्र निगम ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही अपने पिता को MPPSC की तैयारी करते देखा था. उनके पिता ने 1996 से 2000 तक लगातार पाँच बार MPPSC की मुख्य परीक्षा दी, लेकिन रंजिशवश दर्ज हुए झूठे मुकदमों और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण वह अपना DSP बनने का सपना पूरा नहीं कर पाए.
जैनेंद्र ने बताया कि पिताजी का यही सपना उनके मन में बस गया. साल 2015 में पुलिस आरक्षक का पेपर पास किया, पर पिता के कहने पर फिजिकल देने नहीं गए, क्योंकि DSP बनना लक्ष्य था. 2017 में MP सब इंस्पेक्टर का पेपर निकाला, लेकिन फिजिकल से ठीक पहले रंजिशन लड़ाई होने के कारण परीक्षा नहीं दे पाए. वहीं, साल 2019 में इतिहास विषय से शिक्षक वर्ग-1 का पेपर पास किया, पर जॉइन नहीं किया.
झूठे मुकदमे, जेल और भारत यात्रा
जैनेंद्र के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ 2019 और 2020 में आया, जब उन्हें और उनके परिवार को एक के बाद एक बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 14 अक्टूबर 2019 को रंजिश के चलते जैनेंद्र, उनके भाई और पिता पर फर्जी FIR दर्ज कर उन्हें निर्दोष होते हुए भी जेल भेज दिया गया.
पैदल भारत यात्रा पर निकल पड़े
जेल से जमानत पर बाहर आने के 5 दिन बाद जैनेंद्र एक अलग छवि बनाने के उद्देश्य से पैदल भारत यात्रा पर निकल गए. वह जम्मू-कश्मीर तक पहुंचे, लेकिन 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगने के कारण वापस घर लौटना पड़ा.
दूसरी बार जेल
अप्रैल 2020 में उनके माता-पिता पर जानलेवा हमला हुआ, घर को जला दिया गया और पुलिस ने उल्टे जैनेंद्र व उनके परिवार पर दूसरी फर्जी FIR दर्ज कर उन्हें दोबारा जेल भेज दिया. जैनेंद्र ने बताया कि जेल में अपराधियों ने उन्हें बहकाकर अपने साथ आने के लिए कहा, लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने का संकल्प था.
टूटे नहीं, खुद को मजबूत किया
8 जनवरी 2021 को जेल से बाहर आने के बाद जैनेंद्र ने DSP बनने का पक्का मन बना लिया और इंदौर आकर तैयारी शुरू की. लेकिन संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ.
मई 2021 में उनके ऊपर हत्या के प्रयास (धारा 307) की झूठी FIR दर्ज की गई, जबकि वह हॉस्टल के CCTV कैमरे के सामने इंदौर में थे. इसके बाद जून 2021 में उन्हीं लोगों द्वारा उनके परिवार का एक्सिडेंट करवा दिया गया, जिसमें उनके भाई के पैर और मां की कमर की हड्डियां टूट गईं. दोनों को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.
दिल्ली में मां-बाप की हालत देखकर टूट चुके जैनेंद्र को उनके पिता और बुआ-फूफा ने हिम्मत दी. पढ़ाई के लिए पैसे भी दिए और सपने को पूरा करने के लिए इंदौर भेज दिया. जैनेंद्र ने अपनी मां के हाथ पर लिखकर वादा किया कि वह DSP बनकर ही वापस लौटेंगे.
फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा
इसके बाद जैनेंद्र ने अपने सपने को पूरा करने के भरसक प्रयास किए और पीछे मुड़कर नहीं देखा. इंदौर में रहकर लगातार तैयारी करते हुए जैनेंद्र ने पहले प्रयास में MPPSC 2020 की परीक्षा पास कर नायब तहसीलदार के पद पर कब्जा जमाया. पर अभी तक परिवार वालों का सपना पूर्ण नहीं हुआ था. 2021 में और ज्यादा मेहनत की पर अंतिम चयन नहीं हुआ.
ड्रिप लगवाकर दिया पेपर
इसके बाद MPPSC 2022 में सहायक संचालक (स्कूल शिक्षा) पद पर हासिल किया. MPPSC 2023 की मुख्य परीक्षा के दौरान उन्हें मलेरिया और टाइफाइड हो गया. उन्होंने 11 से 16 मार्च 2024 तक मुख्य परीक्षा देते समय सुबह-शाम ड्रिप लगवाकर पेपर लिखा.
'पापा, मैं DSP बन गया'
अब बीते 7 नवंबर 2025 को आए परिणाम में शाम 7:15 पर जैनेंद्र ने अपने माता-पिता को कॉल पर 'पापा मैं DSP बन गया' की खबर सुनाई. यह सुनकर माता पिता का गला रुंध गया और आंखों में खुशी के आंसू आ गए.