इंदौर जिले के सांघवी गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन एक दलित दूल्हे को भगवान राम मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पुलिस की मौजूदगी की जरूरत पड़ गई. यह घटना तब हुई, जब दो समूहों के बीच मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर विवाद हो गया.
प्रत्यक्षदर्शियों और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार, बलाई समुदाय से ताल्लुक रखने वाला दूल्हा अपनी बारात और मेहमानों के साथ महू से 25 किलोमीटर दूर सांघवी गांव के मंदिर पहुंचा. वहां उसने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ पुलिस की मौजूदगी में पूजा-अर्चना की. एक वीडियो में दूल्हा मंदिर के बाहर खड़ा दिखाई देता है, जबकि बाराती दूसरे समूह, जो कथित तौर पर विशेषाधिकार प्राप्त जाति से थे, से बहस कर रहे थे.
पुलिस ने इस दावे का खंडन किया कि दलित दूल्हे को मंदिर में प्रवेश से रोका गया. बेटमा थाना प्रभारी मीना कर्णावत ने बताया, "सांघवी गांव में अनुसूचित जाति के दूल्हे को मंदिर में प्रवेश करने से किसी ने नहीं रोका. विवाद मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर था, जहां स्थानीय परंपराओं के अनुसार केवल पुजारी ही जा सकते हैं. इस मंदिर के गर्भगृह में कोई श्रद्धालु प्रवेश नहीं करता."
पुलिस ने बयान जारी कर कहा, "सांघवी गांव में दलित दूल्हे को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाह भ्रामक है. दूल्हे और उनके परिवार ने मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके बाद बारात शांतिपूर्वक अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई."
मीना कर्णावत ने अपने बयान में बताया गया कि बारातियों और दूसरे समूह के बीच बहस की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को गर्भगृह की परंपराओं के बारे में समझाकर मामला सुलझाया.
अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार ने कहा, "कुछ लोगों की संकीर्ण मानसिकता के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे समुदाय को अभी भी जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है. लगभग दो घंटे की बहस के बाद दूल्हा पुलिस सुरक्षा में मंदिर में पूजा करने में सफल रहा."