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सरकार बनने के बाद से MP में नहीं बन रहे शस्त्र लाइसेंस... BJP विधायक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, रोक हटाने की मांग

MP News: शाजापुर की कालापीपल सीट से बीजेपी विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता से उपजे देशभक्ति के उत्साह और नागरिकों में आत्मरक्षा की भावना को देखते हुए यह मांग उठाई है.

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BJP MLA घनश्याम चंद्रवंशी ने की शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक हटाने की मांग.
BJP MLA घनश्याम चंद्रवंशी ने की शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक हटाने की मांग.

मध्य प्रदेश में शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक को हटाने की मांग को लेकर बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर पहल की है. कालापीपल सीट से विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता से उपजे देशभक्ति के उत्साह और नागरिकों में आत्मरक्षा की भावना को देखते हुए यह मांग उठाई है. उन्होंने पत्र में शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू करने और लाइसेंस शुल्क में कमी की अपील की है ताकि आम नागरिक भी आत्मरक्षा के लिए हथियार रख सकें.

विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने अपने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता ने देशभर में देशभक्ति की लहर पैदा की है. उन्होंने कहा कि हमारी सेना के शौर्य और पराक्रम ने जनता में उत्साह जगाया है. हमारी संस्कृति और धर्म में शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का ज्ञान भी महत्वपूर्ण है. हमारे देवताओं के एक हाथ में शास्त्र और दूसरे में शस्त्र होता है, जो हमारी परंपरा का प्रतीक है. 

एक वीडियो संदेश में बीजेपी विधायक ने कहा कि आत्मरक्षा के लिए नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. इसके लिए सरकार को समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए. 

विधायक ने कहा, ''वर्तमान में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक लगी है, जिसे हटाने की जरूरत है. लाइसेंस शुल्क को भी कम किया जाए ताकि आम लोग इसे वहन कर सकें. बिना लाइसेंस के हथियार रखने की अनुमति नहीं है, इसलिए लाइसेंस प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाए.''

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BJP विधायक ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि शासन के निर्धारित नियमों का पालन करते हुए इच्छुक नागरिकों को नए शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आदेश दिए जाएं.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम नागरिकों में आत्मरक्षा की भावना को मजबूत करेगा और समाज को सशक्त बनाने में मदद करेगा. इस पत्र के बाद यह मामला चर्चा में है और अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री कार्यालय पर टिकी हैं कि इस मांग पर क्या निर्णय लिया जाता है. बता दें कि मुख्यमंत्री के पास ही गृह विभाग का जिम्मा है. 

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