मध्य प्रदेश के पीथमपुर स्थित राष्ट्रीय ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATRAX) के 3000 एकड़ के परिसर में रह रही 100 से अधिक नीलगायों को बचाने के लिए वन विभाग ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. एशिया की सबसे बड़ी ऑटो-टेस्टिंग सुविधा के रूप में फेमस एनएटीआरएक्स में नीलगायों की मौजूदगी से हादसों का खतरा बना हुआ है.
इंदौर के रालामंडल अभयारण्य के अधीक्षक योहन कटारा ने बताया कि पिछले पांच दिनों में करीब 50 नीलगायों को एनएटीआरएक्स परिसर से बचाकर गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा गया है, जो तेंदुओं का निवास स्थान है. अनुमान है कि परिसर में अभी 90 और नीलगाय हैं. उन्हें बचाने और उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ने का अभियान जारी रहेगा."
NATRAX केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के तहत संचालित होता है. इसका उपयोग ऑटोमोबाइल और उनके घटकों की ताकत व प्रदर्शन का परीक्षण करने के लिए किया जाता है. परिसर में वाहन 200 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाए जाते हैं.
NATRAX के डायरेक्टर मनीष जायसवाल ने कहा, "नीलगायों के कारण अब तक कोई दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन खतरा स्पष्ट है. हम भाग्यशाली हैं कि किसी वाहन की नीलगाय से टक्कर नहीं हुई."
कटारा ने बताया कि एनएटीआरएक्स का उद्घाटन 28 जनवरी 2018 को हुआ था, लेकिन बाड़ लगाने से पहले ही नीलगायों ने परिसर को अपना घर बना लिया था. भोजन और पानी की उपलब्धता के कारण उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दो वर्षों में 80 से अधिक नीलगायों को सुरक्षित बचाकर उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जा चुका है.
अब चीतों का भी घर बन चुका गांधी सागर अभयारण्य नीमच और मंदसौर जिलों में फैला है और एनएटीआरएक्स से 300 किलोमीटर दूर है. श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से दो चीते, 'प्रभास' और 'पावक' को बीते 20 अप्रैल को ही यहां छोड़ा गया था.