scorecardresearch
 
Advertisement

मन तुम्हारा जब कभी भी हो चले आना, साहित्य आजतक में कवि डॉ. विष्णु सक्सेना

मन तुम्हारा जब कभी भी हो चले आना, साहित्य आजतक में कवि डॉ. विष्णु सक्सेना

मन तुम्हारा जब कभी भी हो चले आना, द्वार के सतिए तुम्हारी हैं प्रतीक्षा में. हाथ से हाथों को हमने थाम कर साथ चलने के किए वादे कभी. मंदिरों-दरगाह-पीपल सब जगह जागे हमने बांधे से धागे कभी.... इंडिया टुडे साहित्यिक वार्षिकी ने भोपाल के बाद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रचना उत्सव व सम्मान समारोह का आयोजन किया, जिसमें ख्यातिलब्ध साहित्यकारों व रचनाकारों के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी उपस्थिति रही. साहित्य आजतक पर सुनिए उसी कार्यक्रम में कवि डॉ. विष्णु सक्सेना की प्रस्तुति. साथ में इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी.

Advertisement
Advertisement