बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी अपनी दमदार एक्टिंग से फैंस को अपना मुरीद बना चुकी हैं. अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वॉसेपुर' से डेब्यू करने वाली हुमा कुरैशी फिल्मों के साथ ओटीटी की दुनिया की भी 'महारानी' बन चुकी हैं. नेटफ्लिक्स की 'मोनिका ओ माय डार्लिंग' हो या फिर जी5 की 'तरला', हर सीरीज और फिल्मों में हुमा ने अपनी अदाओं और धाकड़ अंदाज से फैंस को क्रेजी किया है. एक्ट्रेस ने अब अपनी फिल्मी जर्नी, स्ट्रगल और ओटीटी को लेकर साहित्य आजतक में खुलकर बात की है.
बिहार की लड़की बनने पर कैसा रहा हुमा का एक्सपीरियंस?
हुमा बोलीं- मेरी लाइफ में मुझे पहला मौका बिहारन लड़की का किरदार प्ले करने का मिला, जो फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में था. उससे पहले मैं कभी बिहार गई भी नहीं थी. मुझे बिहार के बारे में कोई आइडिया भी नहीं था. लेकिन बाद में कई बार मेरा वहां जाना हुआ.
मुझे लगता है कि जब आप दिल्ली से होते हो तो नॉर्थ-इंडियन मिसमैच में आप बड़े होते हैं. मैं भी दिल्ली से हूं. इसलिए मुझे लगता है कि अरावली के ऊपर वाले एक्सेंट मैं अच्छी तरह से कर सकती हूं, जैसे बिहारी, हरियाणवी या राजस्थानी. इस तरह की कोई भी खड़ी बोली में मैं अच्छा कर सकती हूं.
महारानी का तीसरा सीजन ला रहीं हुमा
हुमा ने ये भी बताया कि उनकी सीरीज महारानी का तीसरा सीजन होली से पहले आने वाला है. पहली बार साहित्य आजतक में हुमा ने इस बारे में अनाउंस किया, जिसे सुनकर फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
नवाज के किस्से को फिल्म में किया यूज
हुमा ने कहा- नवाजुद्दीन सिद्दीक किसी लड़की को डेट कर रहे थे और उस लड़की ने नवाज को डांट दिया था. जब हमने किस्सा सुना तो अनुराग ने कहा कि इसे फिल्म में यूज करेंगे. हमें नहीं पता था कि उसका इतना बड़ा इंपैक्ट होगा.
पार्ट 1 में मेरा बहुत छोटा सीन था, इसलिए मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी. मैंने फिल्म के प्रीमियर में भी पेरेंट्स को नहीं बुलाया था. मुझे लगा बेइज्जती होगी, उन्हें पता चलेगा कि मेरे तो सिर्फ 2-3 सीन ही हैं. मैं फिर दिल्ली में पेरेंट्स के साथ फिल्म देखने गई थी. मैंने पेरेंट्स से कहा- पापा बस एक दो सीन ही हैं आगे और आएंगे. लेकिन जब फिल्म खत्म हुई तो थिएटर के मालिक मेरे पाए तो मुझे लगा कि लोग पहचानने लगे हैं. बड़ी इज्जत मिल रही है. वो मेरे लिए काफी सरप्राइजिंग था.
फिल्मों में नो मेकअप लुक पर क्या बोलीं हुमा?
मैं बहुत लकी हूं कि मुझे बेस्ट डायरेक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिला. बहुत कुछ सीखा है उन लोगों से मैंने. उन्होंने मुझे कॉन्फिडेंस दिया है कि मुझे मेकअप की जरूरत नहीं है. मैं नेचुरल ही सुंदर हूं. मुझे लगता है कि इंस्टाग्राम फिल्टर्स की वजह से लड़कियों को ऐसा फील कराया जाता है कि बिना मेकअप के वो सुंदर नहीं लगती.
मुझे भी ड्रेसअप होना बहुत पसंद है. मुझे मेकअप करना, फैशन करना काफी पसंद है. लेकिन जब मैं केरेक्टर प्ले करती हूं ना तो मैं ऑथेंटिक किरदार निभाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि लोग मुझे देखें और कहें कि ऐसी लड़की को तो हम जानते हैं. आपने अगर एक्टर के तौर पर ये अचीव कर लिया तो आप मैजिकल हैं.
सिनेमा में ओटीटी आईपीएल की तरह है?
ओटीटी की वजह से इतने सारे एक्टर्स, डायरेक्टर्स, राइटर्स, टेक्नीशियन आगे आए हैं. मुझे नहीं लगता कि अगर सिर्फ थिएटर का ही कल्चर चलता तो इतने सारे लोगों को मौका मिला पाता. मेरा मानना है कि ओटीटी स्टोरी टेलिंग को काफी डेमोक्रेटिक बना रहा है. छोटी फिल्मों को थिएटर पर उतनी अहमियत नहीं दी जाती, उतने शोज नहीं मिलते. लेकिन ओटीटी पर हर फिल्म को बराबर की स्पेस दी जाती है. अब ये आपके ऊपर है कि आप छोटे शोज देखते हैं या फिर बड़े.
मैं दुबई गई थी किसी काम से. वहां सरकारी काम में थोड़ा टाइम लग रहा था. वहां एक शख्स ने मुझे देखा और कहा-महारानी. ओटीटी को दुनिया के लोग देख रहे हैं. ओटीटी की वजह से हमारा ऑडियंस बेस भी काफी बड़ रहा है.
करियर बनाने के लिए हुमा को मिला था सिर्फ 1 साल
मैं सच कहूं तो मेरा स्ट्रगल पीरियड ज्यादा नहीं था. मेरा स्ट्रगल पेरेंट्स को एक्टिंग के लिए मनाने का था. उन्हें कंविंस करने में मुझे काफी समय लगा, क्योंकि पेरेंट्स को लगता था कि अरे ये तो पढ़ाई में इतनी अच्छी है. भाइयों से बेहतर है. कुछ एकेडमिक करेगी. इसलिए उनको कंविंस करने में मुझे काफी वक्त लगा. लेकिन मेरे पिता फिर मान गए, क्योंकि वो मेरे बड़े सपोर्टर रहे हैं.
मैंने एक दिन अपने पिता से कहा था- अगर आपने जाने नहीं दिया तो मैं नहीं जाऊंगी, लेकिन जब मैं 50 साल की हो जाऊंगी तो दिल में मलाल रह जाएगा. मैं हमेशा आपको जिम्मेदार ठहराऊंगी कि आपने मुझे करने नहीं दिया. तो वो इमोशनसल हो गए. उन्होंने कहा कि तुम जाओ फिल्मों में कुछ करना. उन्होंने मुझे 1 साल का समय दिया और कहा कि अगर कुछ नहीं होता है तो वापस आकर एमबीए करना, शादी करना, अपना सलीम रेस्टोरेंट ज्वॉइन करना या शादी करना. जो ठीक लगे वो करना. बस एक जगह अटकी मत रहना.
इस बात का हुमा को मलाल
मेरा स्ट्रगल मेरी पहली चार-पांच फिल्मों के बाद शुरू हुआ. मुझे लगता है कि अगर आप पैशनेट हैं तो आप टैलेंट के दम पर किसी को भी पछाड़ सकते हैं. लेकिन कई बार आपको सही एडवाइस और सही गाइडेंस की जरूरत होती है. मुझे कोई समझाने वाला नहीं था. मेरे पेरेंट्स सिंपल हैं. इसलिए उन्हें नहीं पता था कि फिल्मों में क्या होना चाहिए. एस्पारिंग एक्टर्स को अवेयरनेस और अच्छी जानकारी होनी चाहिए.
एक्ट्रेस से राइटर बनीं हुमा
हुमा कुरैशी ने एक किताब भी लिखी है. उनकी किताब का नाम 'जीबा' है, जो 2 दिसंबर को रिलीज हो रही है. हुमा ने बताया कि कोविड में काफी समय था, तब उन्होंने उसपर काम करना शुरू किया था. किताब की कहानी एक पगली सी लड़की की है, जो सुपरहीरो बन जाती है. राइटर के तौर पर ये उनका डेब्यू है.
शादी पर क्या बोलीं हुमा?
शादी जब होनी होगी हो जाएगी. शादी किसी लड़के या लड़की को कंप्लीट नहीं करती है. मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मेरे कलीग्स शादी और बेबी के बाद काम करते हैं.
पॉलिटिकल व्यूज पर हुमा ने क्या कहा?
फैन के सवाल पर हुमा बोलीं- मुझे लगता है कि आर्टिस्ट जो होते हैं ना उन्हें सिर्फ अपने काम कर ध्यान देना चाहिए. सभी आर्ट और क्राफ्ट कही ना कही पॉलिटिकल है. लेकिन मुझे लगता है कि नेताओं को अपने काम करना चाहिए और आर्टिस्ट्स को उनका काम करने दीजिए.
बॉडीशेमिंग झेल चुकीं हुमा
हमें महिलाओं की बॉडीशेमिंग करनी बंद कर देनी चाहिए. सुंदरता का कोई साइज नहीं होता. खूबसूरती का कोई साइज नहीं होता. मुझे कई बार बॉडीशेम किया गया, जब मैं बहुत छोटी थी. इसलिए डबल XX फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है. ये एक स्ट्रॉन्ग मैसेज देती है.