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जिंदगी नाजुक है, मजबूत रिश्ते इसे संवारते हैं, साहित्य इसका जरिया: कली पुरी

साहित्य आजतक यानी कला, साहित्य और संगीत का एक ऐसा समागम का जो अगले तीन दिन तक अलग-अलग विधाओं के दिग्गजों से रूबरू होने का मौका देगा. इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने इस आयोजन की शुरुआत करते हुए कहा कि इस साल हुईं तमाम घटनाएं हमें एक ही बात सिखाती हैं- जिंदगी सफर है सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना.

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इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी.
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी.

देश की राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हो चुका है आगाज साहित्य के सितारों के महाकुंभ का यानी साहित्य आजतक 2025 का. कला, साहित्य और संगीत का एक ऐसा समागम जो अगले तीन दिन तक अलग-अलग विधाओं के दिग्गजों से रूबरू होने का मौका देगा. इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने इस आयोजन की शुरुआत करते हुए कहा कि इस साल हुईं तमाम घटनाएं हमें एक ही बात सिखाती हैं- जिंदगी सफर है सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना.

पढ़ें पूरी स्पीच:

नमस्ते!

साहित्य आजतक के आठवें संस्करण में आपका स्वागत करते हुए, मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है. साहित्य की इस थीम की तैयारी में, हम अपने ब्रेकिंग न्यूज़ मोड से निकलकर, बीते हुए साल पर थोड़ा रिफ़्लेक्ट करते हैं.

क्या साल रहा है ये! कभी ख़ुशी, कभी ग़म.

जहां एयर इंडिया क्रैश में दो सौ (200) से ज़्यादा यात्रियों की मौत हो जाती है, वहीं एक यात्री आग के बीचोबीच से सुरक्षित निकल आता है और फिर वहीं, उन्नीस छात्र, जो प्लेन में भी नहीं थे, अपने हॉस्टल में रूटीन नाश्ता कर रहे होते हैं… अपनी ज़िंदगी खो देते हैं.

एक पल पहलगाम के स्वर्ग में दिल जुड़ रहे थे, और दूसरे ही पल आतंक ने हम सबके दिल तोड़ दिए.

अभी हाल ही में, दिल्ली के 10/11 ब्लास्ट में सिर्फ़ एक रेड लाइट पर रुकने की क़ीमत कुछ मासूम नागरिकों ने अपनी जान देकर चुकाई.

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यह सब हमें एक ही बात समझाता है —

ज़िंदगी सफ़र है सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना.
बस यह पल, यह सांस हमारे पास है.

जब ज़िंदगी इतनी नाज़ुक है, तो रिश्ते उतने ही मज़बूत होने चाहिए.

रिश्ते बनते हैं हमारी कहानियों से, हमारे किस्सों से —जिन्हें हमेशा ज़िंदा रखता है साहित्य.

रोज़ के संघर्ष में हम भूल जाते हैं कि जीवन कितना अनप्रेडिक्टेबल है.

ऐसे समय में साहित्य हमें याद दिलाता है कि एक सुपर पावर है जो हमें तसल्ली दे सकती है.

वह सुपर पावर है, लव, प्रेम, प्यार, मोहब्बत, दोस्ती, इश्क़. 

इसी शक्ति से प्रेरित है इस साल का कार्यक्रम.

हम प्रस्तुत कर रहे हैं-मोहब्बत के हर एहसास का महोत्सव, प्रेम के हर रूप का उत्सव.

भगवान के लिए,
देश के लिए,
प्रकृति के लिए,
अपने प्यारे पैट के लिए,
जिगरी दोस्त के लिए,
हमदम के लिए,
हमदर्द के लिए,
हमसफ़र के लिए,

और अपने भीतर के दिव्य रूप के लिए.

इन छह  मंचों पर, आपको मिलेंगे दो सौ से ज़्यादा कलाकार, लेखक, कवि, गायक, अभिनेता, अदाकार...

जो नृत्य, शब्द, गीत और अभिनय के माध्यम से इस भावना को अपने अंदाज़ में रचेंगे.

और दो  ख़ास मेहमान —एक हमारी इलेक्शन एक्सप्रेस बस!  और दूसरा — आपके बीच छिपा वह कवि, जो अपनी कविताएं माइक के लाल में साझा करेगा.

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इस साल हमने एक ही मंच पर अनोखा मिश्रण किया है-

नए राइजिंग स्टार्स के साथ ही स्थापित सुपरस्टार्स, वायरल हिट्स और साहित्य के टाइमलेस मशहूर नाम!सब एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर.

मक़सद यह है कि यहां एक हेल्दी एक्सचेंज हो, जहां पारंपरिक कला रूपों को मिले नया वायरल पुश,
और इंस्टा स्टार्स सीखें कि सब्र और मेहनत ही किसी को टेस्ट ऑफ़ टाइम पास कराती है.

बिल्कुल ‘आजतक’ की तरह, जो इंस्टाग्राम पर भी छाया हुआ है, और जिसने पच्चीस साल से अपनी न्यूज़ की लेगेसी भी संभाल रखी है. 

इस साल आजतक साहित्य जागृति सम्मान का तीसरा संस्करण है.

आठ  सम्मान — भारतीय भाषा के अनमोल रतन,  और इन्हें देने के लिए मंच पर आ रहे हैं राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश जी. जो ख़ुद एक लेखक हैं, और हम सब के लिए प्रेरणा.

अगर 2024 चुनावों का साल था, तो 2025 युद्ध, अनिश्चितता और अनहोनी का साल रहा.

ऐसे में हमें सहारा मिला — तो एक-दूसरे का. हमारी कम्युनिटी, हमारा अपनापन सबसे बड़ा मरहम बना.

इन रिश्तों में एक खूबसूरत रिश्ता है — आपका और आजतक का.

पच्चीस वर्षों से हम इस देश की कहानी को एक साथ देखते, समझते, लिखते आ रहे हैं.

साहित्य आजतक इस बंधन को और मज़बूत करता है, आपके विश्वास को सलाम करता है.

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इसीलिए इस बार का कार्यक्रम बहुत प्यार से बनाया गया है.

बस आशा है कि आप इसे अपने दिल में जगह देंगे.

और तीन  दिन, सब कुछ छोड़कर, इन पलों को दिल में बसाएँगे,

और दिल भर के जीएंगे… अगले साहित्य आजतक तक!

शुक्रिया.

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