ऐसा नहीं है कि 'साहित्य आज तक' केवल स्थापित नामों को ही मौका दे रहा है. यहां शब्द, संगीत, सुर, शायरी, कविता के युवा चेहरे भी हैं. केवल संगीत की ही बात करें तो उस्ताद पूरन चंद वडाली और लखविंदर वडाली, उस्ताद राशिद खान, अनूप जलोटा, शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, जावेद अली और मनोज तिवारी जैसे स्थापित नामों के बीच बेहद युवा पर दमदार वाले चमकदार चेहरे भी यहां होंगे. खास बात यह कि इन युवाओं ने भी गायिकी में अपना बुलंद मुकाम हासिल कर रखा है. ऐसे सितारों में नूरां सिस्टर्स, चिन्मयी त्रिपाठी, गिन्नी माही और हरप्रीत सिंह शामिल हैं.
नूरां सिस्टर्सः
अपने सुर और दमदार आवाज से नूरां सिस्टर्स ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है. उनके सुर और साज की चाशनी संगीत प्रेमियों को अलग दुनिया में ले जाती है. ज्योति नूरां और सुल्तान नूरां की इस जोड़ी ने एक से बढ़ कर एक गाने गाए हैं, जिनमें ’अल्लाह हू -अल्लाह हू’ , ‘नाम उसका अली अली से’ काफी मशहूर हैं. ‘कमली’ नामक अलबम काफी पॉपुलर रहा.
चिन्मयी त्रिपाठी जब छह साल की थीं तो उनके एक फैमिली फ्रेंड ने उनकी आवाज़ सुनी. उन्होंने चिनमयी के माता-पिता से कहा कि उन्हें चिनमयी को सिंगिंग सिखानी चाहिए. उसी के बाद से इतने उम्दा क्लासिकल सिंगर का जन्म हुआ. सुन ज़रा', 'मन बावरा' और Music & Poetry प्रोजेक्ट से सुर का जादू विखेरने वाली चिन्मयी त्रिपाठी ने लोक संगीत से जुड़े कई गीत गाए हैं. जिनमें 'ओ री चिरैया', 'जाग तुमको दूर जाना' काफी मशहूर हुईं.
गिन्नी माहीःजालंधर की दलित लोक गायिका गुरकंवल भारती उर्फ गिन्नी माही ने आठ साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था और आज उनकी आवाज 'डेंजर दलित' की नुमाइंदगी सी करती है. पंजाबी लोकगीत, रैप और हिप-हॉप की यह मलिका बाबा साहेब आंबेडकर और गुरु रविदास के संदेश तो देती हैं, 'डेंजर .....' जैसे गीत भी गाती है, जिसके पंजाबी बोल हैं - शब्द हुंदे असलहे तोह वद डेंजर ..., मतलब, हथियारों से भी बड़े डेंजर .....
हरप्रीत सिंहःसिंगर हरप्रीत सिंह ने अपनी सुरीली आवाज और संगीत से सूफी म्युजिक और हिंदी कविता को एक नई दिशा में मोड़ा है, नौजवानों से जोड़ा है. वह एक साथ बुल्लेशाह से लेकर निराला तक को गाते रहे हैं. कबीर के निर्गुण भी उन्हें पसंद हैं और पाश, फैज और नरेश सक्सेना भी.