दिल्ली में 21 नवंबर को साहित्य आजतक 2025 की जोरदार शुरुआत हुई. इस जबरदस्त कार्यक्रम में बॉलीवुड एक्टर और लेखक पीयूष मिश्रा ने शिरकत की. मॉडरेटर अंजना ओम कश्यप के साथ पीयूष मिश्रा ने बातचीत की. पीयूष की बेस्ट सेलिंग किताब 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' का अंग्रेजी अनुवाद हो चुका है. इसे शिल्पी सिंह ने किया है. किताब और अपनी जिंदगी के बारे में पीयूष मिश्रा ने बताया. साथ ही उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को नकली भी कहा.
हीरो बनना चाहते थे पीयूष
बातचीत के दौरान अंजना ने पीयूष मिश्रा से पूछा- आप मुंबई में क्या बनने गए थे? हीरो बनना था? पीयूष ने कहा, 'मैं हीरो बनने गया था मगर अपनी हीरो बनने की उम्र बिताकर गया था. मैं अपनी जवानी यहां बिताकर गया था. मुंबई तो मैं पैसा कमाने गया था. अपनी मां को, बेटे को और बीवी को अच्छी जिंदगी दे सकूं, ये सोचकर गया था. यहां थिएटर ने तो कुछ दिया नहीं था, सैटिस्फैक्शन के अलावा. एक नकली सैटिस्फैक्शन दिया था थिएटर ने. नकली कहूं या क्या कहूं, बड़ा मजा आ रहा था.' पीयूष मिश्रा ने बताया कि वो बहुत विद्रोही किस्म के इंसान थे. मुंबई जाने के बाद भी वह वैसे ही रहे.'
नकली है फिल्म इंडस्ट्री
एक्टर से आगे पूछा गया कि फिल्म इंडस्ट्री कैसी जगह है. हम आपकी नजर से समझना चाहते हैं. जवाब में पीयूष मिश्रा ने कहा, ' नकली है, बहुत नकली है. अच्छी जगह है. मुझे तो कम से कम बहुत दिया है फिल्म इंडस्ट्री ने. लेकिन नकली है, बहुत नकली है. देखिए, वहां पर मैं काम करता हूं. उसके बाद कोई पार्टी नहीं, कोई फेस्टिवल नहीं. मैं चुपचाप घर वापस आकर, अपना खाना खाकर सो जाता हूं. मेरे फिल्म इंडस्ट्री में कोई दोस्त है नहीं, और हैं तो अनुराग कश्यप जैसे. फिल्म इंडस्ट्री का भी नहीं है वो तो. वो तो कुछ और ही चीज है. अनुराग हो गया या विशाल (भारद्वाज) हो गया या इम्तियाज (अली) हो. ऐसे ही लोग हैं जिनके साथ मैं काम करता हूं, काम करना चाहता हूं. गिव एंड टेक का सवाल है यार. अगर आप स्टारडम में पड़ गए तो फिर आप स्टारडम में पड़ जाओ, फिर आप जिंदगी में कुछ और नहीं कर सकते.'
पीयूष मिश्रा ने आगे कहा, 'अगर मैं आज की तारीख में स्टार होता, स्टार तो नहीं हूं मैं. स्टार तो वहां पर वो होता है, जिस पर प्रोड्यूसर पैसा लगाने को तैयार हो. तो मुझपर कोई पैसा नहीं लगाता. रॉकस्टार आपने बना दिया. ये बात तो है. तो ये कुछ न कुछ तो उपलब्धि है मेरे साथ मे. लेकिन घुलता-मिलता नहीं हूं मैं. वैसे भी मेरा नेचर ऐसा नहीं है कि बहुत घुल-मिलकर... भीड़ के अंदर भी मैं अकेला हूं. घुलता मिलता नहीं हूं मैं, मैं अपनी दूरी बनाए रखता हूं. ये गलत धारणा है कि फिल्म इंडस्ट्री में पार्टी में जाने से काम मिलता है. अरे कुछ काम नहीं मिलता. काम आपको काम से मिलता है. आप जानते हैं काम को, अगर ये अंदेशा हो गया उनको तो आपको काम मिलेगा. लेकिन अगर आप नहीं जानते हैं काम को तो इंडस्ट्री दुरदांत है. निर्दयी है, निष्ठूर है. वो आपको निकालकर बाहर फेंक देगी. इंडस्ट्री में कामगार को काम मिलेगा. अगर आप एक्टर हैं तो आपको काम मिलेगा. वहां पर फिसलने के बहुत सारे तरीके हैं. गांजा है, लड़की है, चरस है, शराब है. और उतने ही सस्ते हैं. अगर आप फिसलना चाहें तो आपके पास बहुत सारे तरीके हैं. वहां पर सधकर काम करना बड़ा मुश्किल है.'
जेन जी को पीयूष की सलाह
सेशन के दौरान पीयूष मिश्रा ने जेन जी को सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे लाइक्स के पीछे भागते हैं. इससे कुछ नहीं होता. जो लाइक आते हैं, वो चले भी जाएंगे. उन्होंने कहा- काम करो. वो करो जो खुद करना चाहते हो. कर्म करने से कुछ हासिल होता है. लाइक से कुछ नहीं होता है. पीयूष मिश्रा ने ये भी कहा कि अपनी मर्जी से जीना जरूरी है, न कि अपने टीचर, पिता या किसी और की मर्जी से.