22 साल पहले 6 दिसंबर यानी आज ही के दिन कारसेवकों ने अयोध्या का बाबरी ढांचा गिरा दिया गया था. बीजेपी और संघ परिवार इसे 'शौर्य दिवस' के रूप में मनाते हैं और सेक्युलर प्रगतिशील 'स्याह दिवस' के तौर पर. लेकिन इस घटना पर भगवान श्रीराम क्या सोचते होंगे? यह सोचा, मशहूर शायर कैफी आजमी ने और तब निकली यह नज्म, जो बाद में इस घटना पर लिखी गई सबसे लोकप्रिय रचनाओं में शुमार हो गई. आप भी पढ़िए 'राम का दूसरा वनवास'.
राम बनवास से जब लौटकर घर में आए
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आए
रक्से-दीवानगी आंगन में जो देखा होगा
छह दिसम्बर को श्रीराम ने सोचा होगा
इतने दीवाने कहां से मेरे घर में आए
धर्म क्या उनका है, क्या जात है ये जानता कौन
घर ना जलता तो उन्हें रात में पहचानता कौन
घर जलाने को मेरा, लोग जो घर में आये
शाकाहारी हैं मेरे दोस्त, तुम्हारे ख़ंजर
तुमने बाबर की तरफ फेंके थे सारे पत्थर
है मेरे सर की ख़ता, ज़ख़्म जो सर में आए
पांव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे
कि नज़र आए वहां ख़ून के गहरे धब्बे
पांव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे
राम ये कहते हुए अपने दुआरे से उठे
राजधानी की फज़ा आई नहीं रास मुझे
छह दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे