आज हिंदी दिवस है। हिंदी हमारी भाषा, मान, सम्मान और शान का प्रतीक है।कन्याकुमारी से कश्मीर तक इसी भाषा ने बांधे हैं राष्ट्र की एकता और स्नेह के धागे। हिंदी की महिमा पर कुछ सवैये।
आज है हिंदी का पावन पर्व
चतुर्दिक भाषा की दुंदुभि बाजे।
आज के दिन हुई धन्य सरस्वती
स्वस्तिवचन अधराधर साजे।
देश के जन-जन के हिय में
अभिव्यक्ति की शीरीं जबान बिराजे
कन्याकुमारी से कश्मीर तक
इसी भाषा ने बांधे हैं स्नेह के धागे।
तुलसी ने सींचा इसे रस-छंद से
काव्य कला से संवारा इसे है।
पंत ने भाव भरे अप्रतिम
तो निराला ने दिल से दुलारा इसे है।
धूमिल ने रची ओज की बानी
प्रसाद ने तन-मन वारा इसे है।
छाने लगा जब देश में संकट
पुरखों ने मिल के पुकारा इसे है।
भाषा यही जिसमें रसखान ने
गोकुल की विरुदावली गाई।
कान्हा के प्रेम में होकर बावरि
मीरा दीवानी हुई विषपायी।
कृष्ण की मैत्री ने मोहा जिसे
तो सुदामा ने साधी अनूठी मिताई।
सूर ने ऐसो बखान कियो हम
कृष्ण की भूले नहीं लरिकाई।
भाषा यही जिसे साध के संतों ने
देश को एक कड़ी में पिरोया ।
माला में भाषा के मनके अनेक
मगर हिंदुस्तानी ने मन को भिगोया।
गांधी ने इसकी रची बुनियाद
स्वराज्य का बीज इसी ने है बोया।
हिंदी उसी स्वाभिमान की भाषा
करोड़ों दिलों को हृदय में संजोया।
***
#डॉ ओम निश्चल हिंदी के सुपरिचित कवि समालोचक एवं भाषाविद हैं व लंबे अरसे तक संपादन कोशकार्य व राजभाषा सेवा से संबद्ध रहे हैं।