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कितना मुश्किल था मनोज मुंतशिर के लिए बाहुबली के डायलॉग लिखना?

मनोज ने कहा कि तेलुगू के सबसे करीब जो भाषा थी वो थी संस्कृत मिक्स हिंदी. तो जब फिल्म ने मुझसे ये मांगा तो मैंने संस्कृतनिष्ठ हिंदी देने की कोशिश की. मनोज ने बातचीत के दौरान अपनी पहली लव स्टोरी के बारे में भी बताया.

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मनोज मुंतशिर
मनोज मुंतशिर

ई-साहित्य आज तक के दूसरे दिन दिग्गज गीतकार और कहानीकार मनोज मुंतशिर ने तमाम मुद्दों पर अपने विचार रखे. मॉड्रेटर श्वेता सिंह के साथ बातचीत में मनोज ने अपने करियर और जिंदगी से जुड़े तमाम किस्से भी सुनाए. मनोज से जब पूछा गया कि उनके लिए बाहुबली के डायलॉग लिखना कितना मुश्किल काम था तो उन्होंने एक मजेदार वाकया बताया.

मनोज ने बताया, "एक तरफ मैं उर्दू से बहुत इनफ्लुएंस और उर्दू की तरफ बहुत झुका हुआ रहा वहीं जब बाहुबली लिखने की बात आई तो मुझे पता था कि भले ही ये फिल्म फैंटेसी है लेकिन इसका जो फैब्रिक है वो बहुत प्रो हिंदी रखेंगे तो ही बात बनेगी. क्योंकि फिल्म ऑरिजनली तेलुगू में लिखी गई है और हमें पता है कि वो भाषा कितनी ज्यादा करीब है संस्कृत के. तो जाहिर सी बात है कि जो फिल्म तेलुगू में लिखी गई है. तो उसे जब मैं तेलुगू से दूर करूं तो इतना भी दूर न कर दूं कि उसकी यथार्थता मर जाए.

मनोज ने कहा कि तेलुगू के सबसे करीब जो भाषा थी वो थी संस्कृत मिक्स हिंदी. तो जब फिल्म ने मुझसे ये मांगा तो मैंने संस्कृतनिष्ठ हिंदी देने की कोशिश की. मनोज ने बातचीत के दौरान अपनी पहली लव स्टोरी के बारे में भी बताया. मनोज ने बताया कि उन्हें पहला प्यार 12वीं क्लास में हुआ था और तब वह महज 17 साल के थे.

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आवारा समझते थे लोग

उन्हें लगता था कि वह तूफानों का सीना चीर कर निकल जाएंगे. मनोज तब भी लिखने के शौकीन थे और उन्होंने बताया कि जब लोग आईआईटी जाने का सपना देखते थे तब वह मुंबई जाने का सपना देखा करते थे. मनोज ने बताया लोग उन्हें आवारा समझते थे क्योंकि वह फिल्मों में गाने लिखना चाहते थे.

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