e-साहित्य आजतक कार्यक्रम में भोजपुरी इंडस्ट्री के जाने-माने एक्टर दिनेश लाल यादव यानि निरहुआ ने अपने स्ट्रगल, करियर, फर्स्ट शॉट-डायलॉग, भोजपुरी इंडस्ट्री के बारे में खुलकर बात की. निरहुआ के इस सेशन को श्वेता सिंह ने मोडरेट किया. निरहुआ ने कोरोना वायरस और मजदूरों को लेकर एक गाना भी गाया.
लॉकडाउन में कैसे समय काट रहे निरहुआ?
निरहुआ ने कहा- अभी सब बंद है. लॉकडाउन के नियमों का पालन किया जा रहा है. शूटिंग भी बंद ही है. लॉकडाउन में अब सब करने को मिल रहा है. घर का काम पहले नहीं कर पाते थे. लेकिन अब सब कुछ करना पड़ रहा है. ये मैंने बिग बॉस में सीखा था कि अगर आप घर के सदस्य हैं तो काम में भागीदारी निभानी चाहिए. इसके अलावा बहुत सारी अच्छी फिल्में देख पा रहा हूं. साहित्य पढ़ पा रहा हूं. इस विपदा की घड़ी में कुछ अच्छा भी हुआ है.
निरहुआ कैसे पड़ा नाम?
दिनेश लाल यादव ने बताया कि कैसे उनका नाम निरहुआ पड़ा. उन्होंने कहा कि दर्शकों ने मुझे निरहुआ बना दिया. दिनेश के नाम से मैं गायिकी करता था. 2003 में मेरा एक एलबम आया निरहुआ सतल रहे. इसके बाद से लोग मुझे निरहुआ बुलाने लगे. मेरी भी मजबूरी हो गई थी. कोई मुझे दिनेश नहीं बोल रहा था. तो मैंने भी निरहुआ नाम रख लिया. यही वो नाम है जिस नाम की वजह से मुझे लोगों का इतना प्यार मिला. मेरी तमन्नाएं पूरी हुईं. मैं चाहता हूं लोग मुझे इसी नाम से बुलाएं.
अपने संघर्ष पर क्या बोले निरहुआ?
मैं जब कोलकाता से पढ़ाई कर अपने गांव आया तो हर बच्चे की तरह सोच रहा था अब क्या करूं. मुझे लगा कि परिवार संगीत के फील्ड में है, तो मैं भी उसी में काम करूं. 2-3साल तक मुश्किल दौर रहा. उन दिनों मैं कभी प्रोग्राम में जाता था. 25-50 लोग वहां होते थे, वे लोग बोलते थे- अरे यार, बंद करो तुम भी सो जाओ हमें भी सोने दो. बारात में गाने का ज्यादा मौका मिलता था. कई बार ऐसा भी हुआ कि मैंने हिम्मत छोड़ी. फिर पिता ने मुझे हिम्मत दी कहा कि कोशिश करते रहो अच्छा होगा. फिर 2003 में मेरा कैसेट निरहुआ सतल रहे आया. फिर मैं जब 2-3 महीने बाद कार्यकम में गया तो लाखों लोग इकट्ठा हुए थे. मुझे भरोसा ही नहीं हुआ. पहले दिन इतने लोगों के सामने गाना मुश्किल था. फिर मुझे आदत हो गई. इसके बाद से मेरा सफर शुरू हो गया.
निरहुआ ने बिरहा सुनाया
कोरोना के संकट की वजह से देशभर के मजदूरों का दुख दर्द निरहुआ ने बिरहा के जरिए बयां किया.
हमारा हाल ऐसा है तुझे कैसे बताऊं मैं
लगी जो चोट दिल पे है किसे जाकर दिखाऊं मैं
किसानी मैं ही करता हूं सभी का पेट भरता हूं
मगर किस्मत ही ऐसी है भूख से मैं ही मरता हूं
तड़पते भूख से बच्चे इन्हें कैसे जिलाऊं मैं
लगी जो चोट पे है उसे कैसे दिखाऊं मैं
सुपर स्टारडम पर क्या बोले निरहुआ?
निरहुआ बोले- मुझे खुद भी भरोसा नहीं होता है. मैं बचपन में घर से भागकर फिल्में देखता था. मैं सोचता था कभी मैं भी टीवी पर आऊं. जब कोई धार्मिक गाना देखता था तो बैकग्राउंड में ताली बजाने वालों को देख सोचता था ये भी बन जाऊं तो बड़ी बात है. जब गायिकी से फिल्मों में आया तो अपनी पूरी ऊर्जा डाल दी. जब फिल्म मिली तो सब छोडकर मुंबई आ गया. यहां गणेश आचार्य से डांस की ट्रेनिंग ली, फाइट मास्टर से फाईट की ट्रेनिंग ली. सभी ने मुझे कहा था पागल हो क्या, कैसे सब छोड़कर आ गए हो? लोग कहते थे यहां तो सलमान, अक्षय राज करते थे, क्या कर पाओगे? मैंने ईमानदारी से कोशिश की कि जो काम मिला है उसे निभाऊं, लेकिन जनता में मुझे स्वीकार कर लिया.फिल्म निरहुआ रिक्शा वाला से मेरा सफर चल निकला. मेरे नाम पर फिल्में बनाने लगे लोग ऐसा ट्रेंड बन गया. मैं दर्शकों, ईश्वर का धन्यवाद करता हूं.
वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर अमीष का तंज, वो बस हमें अंग्रेज बनाने में लगी है
निरहुआ के किस गाने की सबसे ज्यादा फरमाइश होती है?
मैं कहीं भी जाता हूं तो निरहुआ रिक्शावाला गाने की फरमाइश होती है. जहां भी कार्यक्रम में जाता हूं रिक्शावाले सबसे आगे खड़े होते हैं. वे गर्व के साथ कहते हैं हम भी रिक्शा वाला तुम भी रिक्शावाला, रिक्शावाला गाना सुना दो. इसके बाद ई-साहित्य के मंच पर उन्होंने निरहुआ रिक्शावाला सॉन्ग गाया.
पहले शॉट पर क्या बोले निरहुआ?
मुझे जितना डर पहला शॉट देते हुए लगा था आज भी उनता ही डर लगता है, उतना ही पसीना आता है. पहले शॉट में काफी डरा हुआ था. पर सबसे अच्छी बात थी कि टीम काफी अच्छी थी. उन्होंने काफी सपोर्ट किया. सभी जानते थे मैं गायिकी से यहां आया हूं. मुझे हिम्मत बढ़ाई. मैंने फिर अपना बेस्ट दिया. चांदीवली में मंदिर में पहला शॉट दिया था. फिर प्रोड्यूसर ने मुझे गले लगा लिया था.
निरहुआ का पहला डायलॉग
बकौल निरहुआ- उस फिल्म में मेरे अलावा दो और सिंगर थे. एक तो झैला बिहारी जी और दूसरी कल्पना जी. सीन में कल्पना जी मंदिर में गा रही होती है कहती है उनके पति की जान खतरे में है. मैं भाग कर उनके पास जाता हूं और कहता हूं- भईया भगवान की कृपा से बच गेले. ये मेरा पहला डायलॉग था.
भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग मुंबई में होने पर बोले निरहुआ
निरहुआ ने कहा- साउथ में पहले एक ही इंडस्ट्री थी. अब सिर्फ मुंबई में ही नहीं यूपी-बिहार में भी इंडस्ट्री होनी चाहिए. हमने यूपी-बिहार की सरकार से भी बात की है. वे वहां फिल्म सिटी बनाने जा रहे हैं. हम भी चाहते हैं कि हमारे गांव में हमारी इंडस्ट्री हो जाए. वहां कलाकारों की बाढ़ है. ये जरूरी है कि वहां इंडस्ट्री हो. बहुत जल्द वहां ऐसा हो, ऐसा हम चाहते हैं.
बिग बॉस में जो सीखा वो लॉकडाउन में आ रहा काम, बोले निरहुआ
योगी आदित्यनाथ पर फिल्म बनाने की तैयारी
निरहुआ बोले- योगी आदित्यनाथ पर फिल्म मैं बनाना चाह रहा हूं. इन दिनों काफी किताबें पढ़ीं. एक किताब थी यदा यदा ही योगी. इसपर फिल्म बननी ही चाहिए. लॉकडाउन के बाद इसपर विस्तार से काम होगा.
राजनीति को कम समय दे पाते हैं निरहुआ
राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हो रहा हूं. हमें एक साल में 5-6 भोजपुरी फिल्में बनाने होती हैं. ऐसा ना होने पर थियेटर से लेकर चैनल तक से दबाव आने लगता है. लेकिन चुनावी क्षेत्र में अपनी टीम हमेशा मौजूद रहती है. जब भी आवश्यकता होती है तो मैं वहां जरूर जाता हूं.
भोजपुरी फिल्मों के अजीबोगरीब टाइटल पर क्या बोले निरहुआ?
निरहुआ ने हंसते हुए कहा- बहुत सी फिल्मों का टाइटल ऊटपटांग होता है. जैसे चलनी के चालल दूल्हा. इस फिल्म से मेरे छोटे भाई लॉन्च हुए थे. मेरे नाम पर भी काफी ऊटपटांग टाइटल आते हैं.