विशेषज्ञों की एक टीम ने पता लगाने की कोशिश की है कि पश्चिम अफ्रीका में इबोला बीमारी का किस तरह प्रसार हुआ. उनको आशंका है कि एक खोखले पेड़ पर इबोला से संक्रमित चमगादड़ रहते थे और वहीं एक बच्चा खेल रहा था जिससे शायद वह संक्रमित हो गया होगा.
विशेषज्ञ दक्षिण पूर्व गिनी में उस इलाके की पड़ताल कर रहे हैं जहां दो वर्षीय एमिली ओआमौनो एक साल पहले बीमार हुआ था और फिर उसकी मौत हो गई. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इबोला बीमारी का वह पहला मामला था, जिसके बारे में पहले पता नहीं चल पाया था.
वैज्ञानिकों ने मंगलवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा है कि उन्होंने जिन चमगादड़ों की जांच की उसमें इबोला वायरस नहीं मिला. लेकिन, उनका मानना है कि बच्चे में यह वायरस चमगादड़ों से ही आया जो उस खोखले पेड़ पर रहते थे जहां बच्चा खेल रहा था.
विश्व इतिहास में इबोला सबसे खतरनाक बीमारी मानी जा रही है जिसकी वजह से इस साल समूचे पश्चिम अफ्रीका में करीब 8,000 लोगों की जान चली गई. बीमारी उत्पन्न होने के मूल स्थान के बारे में पता नहीं लग पाया लेकिन ऐसा लगता है कि पशु पक्षियों के जरिए ही यह वायरस लोगों तक पहुंचा. कुछ विशेषज्ञों को चमगादड़ की कुछ प्रजातियों पर संदेह है तो कुछ को लगता है कि पश्चिम अफ्रीका की यह बीमारी चमगादड़ के संक्रमण से चिम्पैंजी या छोटे हिरणों में पहुंची तथा इनका मांस खाने के कारण वायरस मानवों में पहुंचा.
इनपुट: भाषा