आज की व्यस्त जिंदगी में जब भी लोगों को अपने बिजनेस या जॉब से फुरसत मिलती है, तब वह अपने पसंदीदा लोगों के साथ वक्त बिताने के बजाय फोन और लैपटॉप में बिजी हो जाते हैं. इस वजह से जो दो लोग यानी कपल एक साथ एक ही घर में रहते हैं वो भी खुद को सोलमेट से ज्यादा रूममेट जैसा महसूस करने लगते हैं. इस वजह से धीरे-धीरे कपल्स के बीच का रिश्ता भी फीका पड़ने लगता है. इसकी वजह उनके बीच प्यार खत्म होना नहीं है, बल्कि ये है कि बस जिंदगी उनके बीच में आ गई है.
लेकिन जिस तरह आपकी बॉडी को टॉक्सिंस से छुटकारा पाने की जरूरत होती है, उसी तरह आपके दिल में फिर से मिठास भरने वाले क्षणों की जरूरत होती है. थोड़ी सी कोशिश और प्यार भरी देखभाल से आप अपने रिश्ते में फिर से वो अपनापन, प्यार और नजदीकी ला सकते हैं जिसकी आपको और आपके पार्टनर को जरूरत है. अगर आप भी अपने रिश्ते में मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है. इस आर्टिकल में हम आज आपको ऐसे पांच आसान और असरदार तरीके बताएंगे, जिन्हें फॉलो करके अपने रिश्ते में फिर से ताजगी भर सकते हैं.
एक साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें: हफ्ते में कम से कम एक दिन तय करें जिस दिन आप अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें. फोन या टीवी के बिना एक साथ बैठें. साथ-साथ पढ़ें, टहलें या होम गार्डन में काम करें. खामोशी की ताकत मन को शांत करती है, दिलों को जोड़ती है और रिश्ते को गहरा बनाती है.
पुरानी यादें साझा करें: अपने सबसे खास पलों को याद करने में कम से कम 15-20 मिनट बिताएं. ये पल आपकी पहली डेट, कोई यादगार सफर हो सकता है. ऐसी यादें आपके रिश्ते को अंदर से मजबूत बनाती हैं और एक-दूसरे के लिए प्यार और अपनापन फिर से जगाती हैं.
एक ग्रैटिट्यूड डायरी रखें: हर दिन, अपने साथी द्वारा किए गए किसी ऐसे काम के बारे में एक लाइन लिखें जिससे आपको स्पेशल फील हुआ हो या खुशी महसूस हुई हो. हफ्ता खत्म होने के बाद एक-दूसरे को अपने नोट्स पढ़कर सुनाएं. ये छोटा सा इशारा शिकायतों से ध्यान हटाकर आपके रिश्ते में नई जान डाल सकता है.
रोल रिवर्सल डे रखें: महीने में एक बार अपनी भूमिकाएं बदलें. अगर एक साथी आमतौर पर खाना बनाना, सफाई करना या बच्चों की देखभाल करता है, तो दूसरा भी इसमें शामिल हो जाता है. यह तरीका रोज की एक जैसी आदतों को बदलकर, एक-दूसरे को समझने और महसूस करने की क्षमता बढ़ाता है.
नॉन-जजमेंट टॉक रिचुअल बनाएं: जल्दी-जल्दी कम से कम हफ्ते में दो बार शांति से बैठकर बात करें. इस दौरान किसी की बात नहीं काटनी है, गुस्सा नहीं करना है और एक-दूसरे की आलोचना भी नहीं करनी है. इसमें आप एक-दूसरे से अपने दिल की बातें और परेशानियां खुलकर बात कर सकते हैं.