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अनोखी वजह से मॉडल ने तीन साल तक नहीं किया सेक्स, हुआ ये हाल

सेक्स जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा होता है लेकिन कभी-कभी इसकी वजह से जिंदगी एक दूसरा मोड़ भी ले लेती है. ऑस्ट्रेलिया की फेमस मॉडल रही अमरंथा रॉबिन्सन ने 'द गार्डियन' से अपनी सेक्स लाइफ से जुड़ा एक खास अनुभव शेयर किया है. अमरंथा ने बताया है कि किस तरह उन्होंने तीन साल तक सेक्स से दूरी बनाए रखा और इस दौरान उनके साथ क्या-क्या हुआ.

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Photo- Instagram/queenamarantha
Photo- Instagram/queenamarantha
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑस्ट्रेलिया के मॉडल की कहानी
  • तीन साल तक सेक्स से रही दूर
  • बताया कैसा रहा अनुभव

सेक्स जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा होता है लेकिन कभी-कभी इसकी वजह से जिंदगी एक दूसरा मोड़ भी ले लेती है. ऑस्ट्रेलिया की फेमस मॉडल रही अमरंथा रॉबिन्सन ने 'द गार्डियन' से अपनी सेक्स लाइफ से जुड़ा एक खास अनुभव शेयर किया है. अमरंथा ने बताया है कि किस तरह उन्होंने तीन साल तक सेक्स से दूरी बनाए रखी और इस दौरान उनके साथ क्या-क्या हुआ.

अमरंथा ने बताया, '2016 में जब मैं 30 साल की थी तो मेरी डेटिंग लाइफ बहुत खराब चल रही थी. मेरी जिंदगी में एक तरह का पैटर्न सेट हो गया था जिसमें मैं किसी पुरुष से मिलती थी और मुझे वो अच्छा लगने लगता था, हमारे बीच फिजिकल इंटीमेसी होती थी और हमारा रिलेशनशिप जल्दी ही टूट जाता था. मुझे ऐसा लगने लगा था कि पुरुष सिर्फ सेक्स के लिए मेरे पास आते हैं और जब उनका मन भर जाता है तो मुझे छोड़ देते हैं. मैंने सोचा कि क्यों ना जिंदगी से सेक्स को हटा कर देखा जाए और फिर भी मेरे साथ कोई रहता है तो वो वाकई मेरे लिए ही होगा. मैंने फिजिकल रिलेशनशिप बनाना बंद कर दिया और इस बीच मैंने चर्च भी जाना शुरू कर दिया था. वहां मेरे इस विश्वास को आर मजबूती मिल गई कि सेक्स एक बुरी चीज है और इससे सिर्फ दर्द ही मिलता है.'

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अमरंथा ने कहा, 'बिना सेक्स के दो साल मेरे बड़े अच्छे गुजरे. डेटिंग लाइफ में बिना किसी इमोशनल पेन के रहना मेरे लिए किसी उपलब्धि की तरह था. मैं खुश रहने लगी और चर्च के सिद्धांतो पर पूरी तरह चलने लगी थी.  भावनात्मक रूप से थो मैं स्थिर हो चुकी थी लेकिन इसका असर मेरी कुछ चीजों पर भी पड़ने लगा था. किसी भी चीज में मैं अब अपनी तरफ से कम कोशिश करने लगी थी. ऐसा लगने लगा था जैसे कि किसी काम को करने के लिए मैं अलग से एनर्जी लगा रही हूं. तीसरे साल से मुझे मेरी डेटिंग लाइफ बुरी लगने लगी.'

'मुझे लगने लगा जैसे कि मेरी जिंदगी में कोई रोमांच ही नहीं बचा है. ये सिर्फ सेक्स से जुड़ा हुआ नहीं था, मैं छोटी-छोटी चीजें मिस कर रही थी जैसे कि फ्लर्ट करना या फिर किसी पुरुष के लिए खास महसूस करना. ऐसा लग रहा था कि मैं जीना भूल गई हूं और अंदर ही अंदर मैं कुछ खोती जा रही हूं. मेरे मन में एक उदासी घर करती जा रही थी. मैं अपनी बॉडी और सेंशुअलिटी से दूर होती जा रही थी. चर्च जाने की भी मेरी इच्छा अब खत्म होने लगी थी. आखिरकार मैंने खुद को एक और मौका देने का फैसला किया. मैं आइलैंड के एक पुरुष से ऑनलाइन मिली और वहां ट्रिप पर जाने का प्लान बनाया. 

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'आइलैंड जाने का प्लान बनाते ही मेरे मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे. मैं सोच रही थी कि अगर मैं इस ट्रिप को पूरी तरह नहीं जिऊंगी तो मैं जिंदगी भर का अनुभव कैसे ले पाऊंगी. मैंने फैसला किया कि मैं कहानियों की बातें और खुद को जज करना छोड़ दूंगी और अपनी आत्मा और शरीर की आवाज सुनूंगी. मेरी डेटिंग लाइफ में कुछ भी उत्साहजनक नहीं था पर मैं अब हर तरह का अनुभव लेने के लिए तैयार थी. आइलैंड पर मैंने वो सब किया जो मैं करना चाहती थी. मेरी जिंदगी का रोमांच लौटने लगा था.'

अमरंथा ने कहा, 'अब मैं जब पीछे मुड़ कर देखती हूं तो लगता है कि मैंने अपने इर्द-गिर्द एक कहानी रच ली थी जिसमें सेक्स को एक खलनायक बना दिया था. ये देखने के बजाय मैं किसके साथ रिलेशनशिप में जा रही हूं, और किस तरह के निर्णय ले रही हूं, मैं अपनी तकलीफों के पीछे सेक्स को ही दोषी मानने लगी थी. अब मुझे लगता है कि मेरे अनुभवों का मेरे फिजिकल रिलेशनशिप से कोई लेना-देना नहीं था. इतने सालों में मैने ये सीख लिया है कि अपनी बॉडी और सेक्सुएलिटी से जुड़े रहने में ही मुझे खुशी मिलती है. इससे मैं खुद को सही मायनों में जिंदा महसूस करती हूं. मैं अब एक ऐसी महिला हूं जो हर तरह का रोमांच महसूस करना चाहती है.

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अमरंथा ने अंत में कहा, 'मैंने ये भी सीखा है कि खुद से बनाई गई कहानियां या विचार अक्सर आपको ही नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए मैंने फैसला कर लिया है कि अब आगे से मैं खुद को किसी भी चीज से दूर नहीं रखूंगी. मैंने अपनी कहानी दोबारा लिखी है. हालांकि सेक्स से कुछ सालों तक दूर रहने पर मुझे कई चीजों में स्पष्टता आ चुकी है. मेरे ये एक ऐसे विराम की तरह था जिससे मुझे नई खोज मिली कि मैं कौन हूं, मैं जिंदगी से क्या चाहती हूं और मेरे लिए वास्तव में क्या ज्यादा जरूरी है.'

 

 

 

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