किसी भी काम को करने के लिए हमारे हाथ किसी टूल की तरह काम करते हैं, फिर चाहे बात खाना खाने की हो या कोई चीज उठाने की या कुछ लिखने की. ऐसे में जरूरी है कि आप हाथों में होने वाली किसी भी समस्या को हल्के में ना लें. जिस प्रकार शरीर के अंदर कोई समस्या होने पर शरीर के बाकी अंगों में उसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं, उसी प्रकार हाथों से भी कई गंभीर समस्याओं के बारे में पता चल सकता है.
इंग्लैंड के चेस्टर यूनिवर्सिटी के सीनियर लेक्चरर डॉ. गैरेथ नी ने ब्रिटिश टेबलॉयड डेली स्टार को बताया कि उंगलियों का लाल होना और उनमें सूजन आना कई बीमारियों का संकेत हो सकता है. जैसे- वाटर रिटेंशन की समस्या जिसमें अंगुलियों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और इसका सामना ज्यादातर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को करना पड़ता है. इसके अलावा, अर्थराइटिस के कारण भी उंगलियां काफी कठोर हो जाती है जिसकी वजह से उंगलियां सूज जाती हैं और उनमें दर्द होने लगता है.
हॉन्गकॉन्ग की एक मेडिकल स्पेशलिस्ट क्लेयर ब्लैक ने कहा कि कोई भी दिक्कत होने पर जब कोई व्यक्ति अस्पताल जाता है तो डॉक्टर सबसे पहले उसके हाथों को देखते हैं ताकि बीमारी का कोई सबूत मिल सके. हाथों में दिखने वाले कुछ लक्षण और बदलाव आम होते हैं लेकिन कई बार यह किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा करते हैं.
हॉन्ग कॉन्ग में मटिल्डा ऑर्थोपेडिक एंड स्पाइन सेंटर में ऑर्थोपेडिक्स और ट्रॉमेटोलॉजी की विशेषज्ञ डॉ एथेना एयू का कहना है कि कई तरह की मेडिकल कंडीशन्स हमारे हाथों को प्रभावित कर सकती हैं. इसमें शामिल हैं-
अर्थेराइटिस- जोड़ों की हड्डियों का कमजोर होना, दर्द और सूजन.
कार्पल टनल सिंड्रोम- कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome) या सीटीएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी कलाई की कोई नस दब जाती है, जिसके कारण आपके हाथ और पूरी बांह में तेज दर्द और अकड़न हो जाती है. ऐसा आपकी कलाई की मीडियन नर्व के दब जाने पर होता है.
ट्रिगर फिंगर्स- ट्रिगर फिंगर्स वह स्थिति है जब उंगलियों के टेंडन में किसी कारण से सूजन आ जाती है. टेंडन में किसी प्रकार से क्षति पहुंचने से मसल्स तक भी इसका असर पहुंचता है और उस जगह पर दर्द और सूजन आ जाती हैं. ट्रिगर फिंगर की स्थिति में उंगली जोड़ के पास से मुड़ जाती है.
डी कर्वन सिंड्रोम- अंगूठे के नीचे और आसपास सूजन और दर्द.
क्यूबिटल टनल सिंड्रोम- अलनर नर्व में दर्द, सूजन या जलन जो आपकी गर्दन के किनारे से शुरू होती है और आपकी उंगलियों तक आती है.
रूमेटाइड अर्थेराइटिस- एक ऑटोइम्यून डिजीज जो आपकी उंगलियों, अंगूठे और कलाई के ज्वॉइंट टिशू को प्रभावित करती है.
डुप्यूट्रेन- यह बीमारी हमारी हथेलियों की स्किन के नीचे मौजूद ऊतक की परत पर बुरा प्रभाव डालती है जिसे फाशिया कहा जाता है.
क्या होता है गैंगलियोन सिस्ट?
नाड़ीग्रन्थि पुटी (गैंगलियोन सिस्ट) उंगलियों, हाथ और कलाई में पाए जाने वाली गांठ हैं. हालांकि, इलाज के बाद भी दोबारा से इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है. गैंगलियोन सिस्ट की वजह से ज्वॉइंट्स में दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.
डॉ एथेना एयू ने कहा, उंगलियों के ज्वॉइंट्स में दर्द और सूजन अर्थराइटिस, एक्यूट ट्रॉमा और चोट या इंफेक्शन की ओर इशारा करते हैं. हाथों में होने वाली ये दिक्कतें धीरे-धीरे शरीर के बाकी अंगों को भी प्रभावित करना शुरू कर देती हैं. डॉ एयू ने कहा इसके बाकी लक्षणों में झनझनाहट, सुन्न पड़ना और उंगलियों में कमजोरी महसूस होना है.
ये सभी लक्षण कार्पल टनल सिंड्रोम और क्यूबिटल टनल सिंड्रोम का सिग्नल देते हैं. वहीं, उंगलियों का सुन्न पड़ना पेरिफेरल न्यूरोपैथी का भी एक कारण हो सकता है.
हाथों का कांपना
एयू ने कहा, हाथ कांपना आमतौर पर कुछ बीमारियों के कारण हो सकता है. जिसमें शामिल हैं पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, विटामिन बी 12 की कमी, थायरॉयड और कुछ तरह की दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण. एयू ने सुझाव दिया कि अगर आपको हाथ कांपने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें.
उंगलियों में झनझनाहट
वहीं, उंगलियों का सुन्न और ठंडी होना साथ ही इनमें झनझनाहट होना ठंड के प्रति असामान्य संवेदनशीलता का लक्षण हो सकती हैं. इस स्थिति को रेनॉड डिजीज कहा जाता है. इस बीमारी के कारण हमारे शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, खासतौर पर हाथ और पांव में.
वहीं, उंगलियों में होने वाली सूजन फ्लूइड रिटेंशन, गठिया, और रूमेटाइड अर्थेराइटिस का भी एक संकेत हो सकता है.
तो अगर आपको भी अपनी उंगलियों में ऊपर बताई गई किसी भी समस्या में से कुछ भी महसूस हो रहा है तो जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें.
हाथों की जटिल संरचना को समझिए
हमारे हाथों की संरचना काफी जटिल होती है. हमारे हाथ कलाई, हथेलियों, उंगलियों और अंगूठे से मिलकर बने होते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक हाथ में 27 हड्डियां होती है जिसमें कलाई में 8 कार्पल बोन्स, उंगलियों के लोअर हाफ में 5 मेटाकार्पल बोन्स और उंगलियों के ऊपरी हिस्से में 14 बोन्स होती हैं.
सीसमाइड हड्डियां छोटे गोल आकार की हड्डियां होती हैं जो टेंडन या मांसपेशियों के नीचे होती हैं. ये एक डिस्क की तरह की हड्डी होती है जो दो हड्डियों के ज्वॉइंट्स में होती हैं और ज्वाइंट्स को मजबूती देने का काम करती हैं.
हमारे एक हाथ में 27 ज्वॉइंट्स और 120 लिगामेंट्स होते हैं. लिगामेंट्स काफी मजबूत, रस्सी की तरह के टिशू होते हैं जो हड्डियों को दूसरी हड्डियों से कनेक्ट करते हैं. क्लेयर ब्लैक ने बताया कि जब भी हम अपने ज्वॉइंट्स को मूव करते हैं तो .ये लिगमेंट्स मजबूती प्रदान करते हैं.
हर हाथ में लगभग 30 मसल्स होती हैं. इसमें से बहुत से मसल्स हमारी कलाई और फोरआर्म में होते हैं, जबकि उंगलियों में कोई भी मसल्स नहीं होती.
ब्लैक कहती हैं, "हाथ की गति ज्यादातर फोरआर्म में मांसपेशियों द्वारा शुरू की जाती है जो उंगलियों और अंगूठे से टेंडन के माध्यम से जुड़ती है."
"टेंडन सॉफ्ट टिशू होते हैं जो मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ते हैं और जब हमारी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं तो ये ज्वॉइंट्स को मूव करने में हमारी मदद करते हैं. हाथ की हथेली में छोटी मांसपेशियां जिन्हें आंतरिक मांसपेशियों के रूप में जाना जाता है, मोटर मूवमेंट में मदद करती हैं जिससे हम किसी भी चीज को पकड़ सकते हैं.
हमारे हाथों के अलग-अलग हिस्सों में सेंसरी और मोटर फंक्शन के लिए 3 तरह की नर्वस जिम्मेदारी होती हैं. रेडियल नर्वस हाथ के पिछले हिस्से को अंगूठे से लेकर तीसरी उंगली तक सेंसेशन प्रदान करती है.
अलनर नर्व छोटी उंगली और रिंग फिंगर के आधे हिस्से को संवेदना प्रदान करती है. यह नर्व हमारी गर्दन (कॉलर बोन), कंधे और हाथों से गुजरती हुई कलाई तक जाती है. इसके बाद यह यहां से बंट कर रिंग फिंगर और छोटी उंगली पर समाप्त हो जाती है.
मीडियन नर्व कलाई के माध्यम से कार्पल टनल के माध्यम से यात्रा करती है और अंगूठे, इंडेक्स फिंगर, मिडिल और रिंग फिंगर के हिस्से को सेंसेशन प्रदान करती है.
ब्लैक ने बताया कि,हमारी हथेलियों में मौजूद स्किन पर कोई बाल नहीं होते और ना ही वो टैन होती है. हमारी एक हथेली में 17 हजार टच रिसेप्टर और फ्री नर्व एंडिंग होते हैं जो प्रेशर, मूवमेंट, लाइट टच और वाइब्रेशन को महसूस करते हैं.