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World’s strongest kid: 3 साल की उम्र में वजन था 48 किलो, ये है दुनिया के सबसे वजनी बच्चे की कहानी

World’s strongest kid : 2003 में दुनिया के सबसे मजबूत और सबसे वजनी बच्चे का वर्ल्ड रिकॉर्ड इस बच्चे के नाम था. जन्म के समय इस बच्चे का वजन 2.89 किलो था और जब वह 3 साल का हुआ तो उसका वजन लगभग 48 किलो था. दिसंबर 2020 में इसकी अचानक मृत्यु हो गई.

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(Image Credit : Getty images)
(Image Credit : Getty images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में नाम दर्ज
  • जन्म के समय वजन था 2.89 किलो
  • 9 साल की उम्र में 146 किलो था वजन

दुनिया में कई ऐसे बच्चे हैं जो अपने हुनर के दम पर पहचाने जाते हैं, लेकिन एक बच्चा ऐसा हुआ जो अपने बढ़े हुए वजन के कारण दुनिया भर में जाना गया. इस बच्चे ने केवल 3 साल की उम्र में "दुनिया का सबसे मजबूत बच्चा" (World’s strongest kid) होने का रिकॉर्ड बनाया. 9 साल की उम्र में उसका वजन 146 किलो (322 पाउंड) था. समय के मुताबिक उसका वजन काफी बढ़ता गया और फिर काफी कम उम्र में अचानक उसकी मृत्यु हो गई. 

3 साल की उम्र में इस लड़के का वजन 48 किलो था. जल्द ही उसने अपने भारी भरकम शरीर के कारण दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं और उसने सूमो रेसलिंग शुरू की, जिसके बाद वह दुनिया भर में सेलिब्रिटी की तरह पहचाना जाने लगा.

बचपन से ही था काफी वजनी

(Image Credit : Getty images)

2003 में मात्र 3 साल की उम्र में दुनिया के सबसे भारी बच्चे के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness Book of Records) में अपना नाम दर्ज कराने वाले बच्चे का नाम Dzhambulat Khatokh था, जो कि रूस का रहने वाला था. उसका जन्म 24 सितंबर 1999 को हुआ था एवं उसकी मृत्यु मात्र 21 साल में यानी 29 दिसंबर 2020 में हो गई थी. मौत के कारणों का खुलासा नहीं किया गया, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे किडनी की गंभीर समस्या थी.

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जन्म के समय Dzhambulat का वजन 2.89 किलो था. लेकिन जब वह 1 साल का हुआ तो उसका वजन लगभग 13 किलो हो गया था. 6 साल की उम्र में उसके सहपाठियों ने उसे 'ग्लेडिएटर' नाम से बुलाना शुरू कर दिया था, उस समय उसका वजन 95 किलो था.

फिर 9 साल की उम्र तक आते-आते उसका वजन लगभग 146 किलो हो गया था, जो कि उसकी उम्र के 4 बच्चों के बराबर था. इसके बाद 17 साल की उम्र में उसका वजन लगभग 230 किलो हो गया था, लेकिन फिर उसने डॉक्टरों की चेतावनियों पर ध्यान दिया और वजन कम करने का फैसला किया. एक साल से भी कम समय में उसने अपना वजन 176 किलो कर लिया था, लेकिन अचानक एक दिन उसकी मृत्यु हो गई.

डॉक्टर ने दी थी चेतावनी

(Image Credit : Getty images)

सबसे वजनी लड़के के रूप में Dzhambulat दुनिया भर में पहचाना जाने लगा था, लेकिन उसके बढ़े हुए वजन के बारे में सभी को काफी चिंता थी, जिसके बारे में कई बार न्यूज पेपर और टीवी चैनल पर भी दिखाया गया था. जैसे-जैसे उसका वजन बढ़ता गया वैसे-वैसे चिंताएं बढ़ती गईं कि क्या बच्चे के लिए इतना वजन होना स्वस्थ है?

2009 में, एक ब्रिटिश डॉक्टर इयान कैंपबेल (Ian Campbell) ने उनकी जांच की और उस बच्चे के बारे में चेतावनी दी थी कि बच्चे की हालत गंभीर है. उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि बच्चे के बढ़े हुए वजन का मतलब है कि उसे डायबिटीज, कैंसर और हार्ट संबंधित रोग का बहुत अधिक खतरा है. इतना भारी होने के कारण उसकी उम्र काफी कम होगी. 

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सूमो रेसलिंग की शुरुआत

खातोखोह ने जब सूमो रेसलिंग की शुरूआत की थी तो उसके पहले रेसलिंग कोच खसान तेउस्वज़ुकोव (Khasan Teusvazhukov) के मुताबिक, इतने भारी वजन के कारण उसे ट्रेनिंग देना काफी मुश्किल था. उन्होंने यह भी कहा था कि उसके भारी शरीर से अन्य लोगों को चोट भी पहुंच सकती थी.

शुरुआत में उसे प्रैक्टिस में मुश्किल होती थी, लेकिन वह हार नहीं मानता था और अधिक प्रैक्टिस करता था. इसके बाद उसने कई टूर्नामेंट भी जीते.

मां पर लगे थे आरोप

बच्चे के बढ़े हुए वजन पर उसकी मां नेल्या ने कहा था कि उनके बच्चे को भगवान ने ही ऐसा बनाकर भेजा. उन्होंने बताया था, कई डॉक्टर्स ने मेरे बेटे की जांच की, लेकिन मेरे बेटे का वजन अधिक होने के अलावा उन्हें कोई भी मेडिकल प्रॉब्लम नहीं मिली. जब वह 5 साल का था, तो मैं उसे मॉस्को क्लीनिक लेकर गई थी, जहां सभी उपलब्ध परीक्षण जैसे ऑर्गन स्कैन और हार्मोन टेस्ट भी कराए थे, लेकिन उनसे भी यही पता चला था कि वह बिल्कुल स्वस्थ है और उसका हार्ट, लिवर और बाकी सब कुछ सामान्य है. 

बच्चे की मां नेल्या पर स्टेरॉयड देकर वजन बढ़ाने का आरोप लगाया गया था और कहा गया था कि वे उसे सूमो पहलवान बनाना चाहती थीं, इसलिए उसे वजन बढ़ाने का इंजेक्शन दे रही थीं. इस पर पलटवार करते हुए नेल्या ने कहा था, क्या लोग सोचते हैं कि मैं एक हत्यारी हूं? क्या उन्हें लगता है कि एक मां अपने बच्चे के साथ ऐसा कर सकती है? उसकी मेडिकल रिकॉर्ड को देखें. क्या उन्हें लगता है कि मैंने उसे 2 महीने की उम्र से ही स्टेरॉयड देना शुरू कर दिया था? यह सब बेकार की बातें हैं. मैं अपने बेटे से प्यार करती हूं और मैं उसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी नहीं करूंगी."

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उसकी मां के मुताबिक, वह अपने भाई के समान ही सामान्य खाना खाता था. अगर उसे भूख लगती तो वह और मांग सकता था, लेकिन मैंने कभी उसे अधिक खाना खाते हुए नहीं देखा. हो सकता है कि वह अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में थोड़ा अधिक खाता था, लेकिन वह कभी भी एक वयस्क व्यक्ति से अधिक नहीं खाता था. 

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