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हफ्ते में चार दिन काम, तीन दिन आराम! जापान ने शुरू किया ट्रेंड, और किन देशों में है व्यवस्था

दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में गिने जाने वाले आइसलैंड, डेनमार्क और नीदरलैंड भी चार दिनों के वर्क वीक ट्रेंड को अपना रहे हैं. यह कैंपेन न केवल बर्नआउट को कम करता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करता है, नौकरी से संतुष्टि बढ़ाता है और कई मामलों में, आउटपुट को भी बढ़ाता है.

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जापान ने 4 दिनों के वर्क वीक की शुरुआत की है (Photo- Getty Images)
जापान ने 4 दिनों के वर्क वीक की शुरुआत की है (Photo- Getty Images)

दुनिया भर के कर्मचारियों के लिए तीन दिन वीकेंड का आइडिया लंबे समय से सपना रहा है लेकिन अब यह सपना धीरे-धीरे सच होता जा रहा है. समय के साथ वर्क कल्चर में बदलाव आ रहा है और खासकर कोविड महामारी के बाद चार दिन के वर्क वीक को लेकर काफी चर्चा हुई है. अपने कर्मचारियों की खुशी और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई देश और कंपनियां इस ट्रेंड को अपना रही हैं.

चार दिन का वर्क वीक "100-80-100" मॉडल को फॉलो करता है जिसका मतलब है श्रमिकों को उनका 100% वेतन मिलना, 80% समय मिलना और उनका काम भी 100% दक्षता के साथ होना.

इस मॉडल का नेतृत्व '4 डे वीक ग्लोबल' नामक एक ग्रूप कर रहा है. ग्रूप ने 2023 के अंत में जर्मनी में एक बड़े कैंपेन के रूप में अपनी शुरुआत की. इसने पहले ही स्पेन, पुर्तगाल और ब्रिटेन जैसी जगहों पर चार दिनों के वर्क वीक का सफल परीक्षण किया है.

दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में गिने जाने वाले आइसलैंड, डेनमार्क और नीदरलैंड भी इस चार दिनों के वर्क वीक ट्रेंड को अपना रहे हैं. यह कैंपेन न केवल बर्नआउट को कम करता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करता है, नौकरी से संतुष्टि बढ़ाता है और कई मामलों में, आउटपुट को भी बढ़ाता है. चार दिन के वर्क वीक को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह नौकरियों के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है.

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दुनिया के इन देशों ने अपनाया है 4 दिन का वर्क वीक कल्चर

जापान- जापान की जनसंख्या तेजी से सिमट रही है और वहां लोग शादियां कम कर रहे हैं. इसे देखते हुए अप्रैल 2025 में जापान ने सरकारी कर्मचारियों के लिए चार दिन के वर्क वीक की शुरुआत की है ताकि घटते जन्म दर में सुधार किया जा सके. 

इसके अलावा जापान में एक नई "चाइल्डकेअर आंशिक अवकाश" नीति भी लाई गई है जिसके तहत कामकाजी माता-पिता अपने वर्क डे को दो घंटे कम कर सकते हैं. बचे हुए समय में वो अपने बच्चे का ख्याल रख सकते हैं.

बेल्जियम 

बेल्जियम ने 2022 में अपने यहां चार दिन के वर्क वीक की शुरुआत की थी. बेल्जियम ने इसे लेकर एक कानून भी पारित किया था और इसी के साथ ही वो यूरोप का पहला देश बन गया था जहां के कर्मचारियों को हफ्ते में महज 4 दिन काम करना होता है.

इस कानून के पारित होते ही बेल्जियम के कर्मचारियों को यह आजादी मिल गई कि वो अपने 40 घंटे के कामकाजी घंटे को पांच के बजाए चार दिनों में बांट सकें.

जर्मनी

जर्मनी ने 2023-24 में चार दिवसीय वर्किंग वीक की टेस्टिंग शुरू की थी. इस टेस्टिंग में 41 कंपनियां शामिल थीं और इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए. उनमें से लगभग 73% नए स्ट्रक्चर को जारी रखने की योजना बना रहे हैं. जर्मनी हमेशा से उत्पादकता और दक्षता को महत्व देने वाला देश रहा है और यहां कर्मचारियों को हफ्ते में महज 34 घंटे काम करना होता है जो कि दुनिया में सबसे कम है.

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काम के कम घंटे होने के बावजूद जर्मनी की कंपनियां काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. इससे पता चलता है कि कम घंटों का मतलब कम काम नहीं है बल्कि वहां स्मार्ट वर्क और अधिक फोकस्ड काम पर जोर दिया जाता है जो कर्मचारियों को खुश और व्यस्त रखता है.

आइसलैंड 

आइसलैंड दुनिया के पहले देशों में था जहां चार दिन के वर्क वीक की टेस्टिंग की गई. वहां 2015 और 2019 के बीच कई टेस्टिंग की गई जिससे साबित हुआ कि काम के कम घंटे वास्तव में बेहतर उत्पादकता की ओर ले जा सकते हैं. 

आइसलैंड ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बिना कटौती किए उनके काम के घंटे 40 से घटाकर 35-36 घंटे प्रति सप्ताह कर दिए. 2022 तक, आधे से अधिक कार्यबल छोटे शेड्यूल में चला गया. सबसे बड़ी बात कि श्रमिकों के कल्याण में काफी सुधार हुआ और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं हुआ.

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