
Char Dham Yatra Health Tips 2025: उत्तराखंड में स्थित चार धाम (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ) के कपाट 30 अप्रैल से खुल रहे हैं. इन चार पवित्र धामों की यात्रा के लाखों की संख्या में रजिस्ट्रेशन भी हो चुके हैं. हिमालय की ऊंची चोटियों पर स्थित इन धार्मिक स्थलों तक पहुंचने के लिए देश-विदेश से भी लोग आते हैं. तीर्थयात्री पथरीले और कठिन पहाड़ी रास्तों पर ट्रैकिंग करते हुए इन दिव्य मंदिरों तक पहुंचते हैं जो समुद्र तल से 10,000 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं.
यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि शारीरिक दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसमें ऊबड़-खाबड़ रास्ते, पहाड़ी ईलाके और कठिन मौसम जैसी कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. चार धाम यात्रा में हर उम्र के तीर्थयात्री भाग लेते हैं. हालांकि, ऊंचे पहाड़ों पर यात्रा करते समय कई बार बुजुर्गों, बच्चों या दिल के मरीजों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
कठिन रास्तों के कारण कुछ श्रद्धालुओं को सांस और दिल से संबंधित बीमारियों के कारण अपनी जान भी गंवानी पड़ती है, जिसके चलते दुखद खबरें सामने आती हैं. इसी बात को ध्यान में रखने हुए हमने हार्ट और लंग्स स्पेशलिस्ट से बात की और जाना कि चार धाम यात्रा या फिर पहाड़ी रास्तों पर ट्रेकिंग पर जाने से पहले कैसे अपनी फिटनेस चैक कर सकते हैं और किन बातों को ध्यान में रखकर अपनी हार्ट और लंग्स हेल्थ को सुधारा जा सकता है.
पहाड़ पर ट्रैकिंग करने वालों को हार्ट की कितनी समस्या?
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में क्लिनिकल एंड क्रिटिकल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. अमर सिंघल ने बताया, 'जो लोग कम उम्र के हैं, उनमें हार्ट की काफी कम समस्याएं पाई जाती हैं इसलिए उन्हें कोई चैकअप की जरूरत नहीं होगी. लेकिन जिन लोगों की उम्र 50 साल से ज्यादा है या फिर उनको पुरानी हार्ट प्रॉब्लम रह चुकी है, उन लोगों को खास सावधानी बरतने की जरूरत होगी.'
'प्रॉब्लम ये है कि पहाड़ों पर ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. वहां उन्हें ज्यादा सावधानी की बरतने की जरूरत होती है. इसके लिए उन लोगों को पहले 2 हजार, फिर 5 हजार, फिर 7 हजार फीट पर जाना चाहिए न कि एक ही बार में पूरी चढ़ाई करनी चाहिए. इस प्रॉसेस को एक्लिमेटाइजेशन (Acclimatization) कहते हैं. यह वह प्रॉसेस होती है, जिसमें किसी भी जीव का शरीर नए वातावरण के अनुसार समायोजित हो जाता है. जैसे ऊंचाई या तापमान में परिवर्तन के बाद भी उसे स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है. ऐसा करके आप आसानी से लगभग 10-12 हजार फीट (चारों धाम की औसत ऊंचाई) तक पहुंच सकते हैं.'
'हिल्स पर आपकी सांस फूल सकती है तो इसके लिए आपको ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद लेनी होगी. लेकिन आप सोचें कि पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान अचानक हार्ट अटैक आ जाएगा तो ऐसा कोई इश्यू नहीं है.'
'जिन लोगों की हार्ट की समस्या है वो लोग अपना पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर भी साथ लेकर जाएं. जिन्हें रेस्पिरेटरी (लंग्स) इश्यूज हैं या हार्ट इश्यूज हैं, उन लोगों को काफी केयरफुल रहना होगा. रेगुलर दवाइयां लें, अपनी डाइट हल्की रखें, ज्यादा न खाएं, खाना पेट भर के न खाएं बल्कि थोड़ा-थोड़ा खाएं. अगर लगे कोई हार्ट प्रॉब्लम के लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत नीचे आएं.'
'यदि कोई नॉर्मल आदमी अचानक से ऊंचाई पर चला जाता है तो इस कारण उसके लंग्स में पानी भर जाता है जिसको हम नॉन कार्डियोजेनिक प्लम एडेमा कहते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है लेकिन यह हार्ट की समस्या के कारण नहीं होता. इसे फेफड़ों में सूजन भी कहा जाता है. इस स्थिति के कारण सांस लेने में तकलीफ और खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने का कारण बन जाती है. त्वचा और होंठ नीले या भूरे रंग के होना, खांसी, थकान आदि इसके लक्षण होते हैं. ऐसी समस्या होने पर भी उन्हें तुरंत नीचे लेकर आ जाएं. इसके अलावा अचानक से ऊपर नहीं जाएं. नजदीक जाकर 24 घंटे रेस्ट करें और फिर चढ़ाई शुरू करें.'
हार्ट की मजबूती ऐसे करें पता?
डॉ. अमर के मुताबिक, 'हार्ट की कैपेसिटी या मजबूती के बारे में पता करने के लिए ट्रेडमिल टेस्ट होता है और इकोकार्डियोग्राफी भी होती है. कुछ कार्डियक टेस्ट होते हैं. यदि आप चाहें तो ईसीजी, टीएमटी (TMT) और ईको कार्डियोग्राफी (हार्ट का साइज और फंक्शन बताने वाला टेस्ट) वाले 3 टेस्ट रूटीन चेकअप के तौर पर करा सकते हैं और उसके बाद रिपोर्ट को लेकर किसी कार्डियोलॉजिस्ट को दिखा सकते हैं.'
पहली बार जाने वाले लोग इन बातों का रखें ख्याल
'यदि किसी को हार्ट संबंधित समस्याएं हैं तो उसे सांस फूलना, घबराहट, सीने में भारीपन, सिरदर्द जैसे लक्षण नजर आएं तो मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए. ऑक्सीजन मापने के लिए ऑक्सीमीटर साथ रखें. यदि ऑक्सीजन का लेवल 90 पर्सेंट से कम है तो आपको काफी मेडिकल मदद लेनी चाहिए और सावधान रहना चाहिए.'
'इमरजेंसी मेडिकल केयर के लिए जो नॉर्मल आदमी है, उसे तो किसी चीज की कोई जरूरत नहीं होती लेकिन जो हार्ट पेशेंट हैं, उनकी अपनी सारी दवाइयां साथ रखनी चाहिए. खून पतला करने वाली दवाई, ब्लड प्रेशर या शुगर की दवाई की खुराक अपने साथ ही रखें. इसके अलावा कोई न कोई आपके साथ जरूर रहे ताकि इमरजेंसी में आपकी मदद कर सके.'
4 धाम यात्रा के लिए कैसे करें अपने आपको तैयार?
डॉ. अमर ने बताया, 'चारधाम यात्रा के लिए आपको एक्स्ट्रा मेहनत करने की जरूरत नहीं है. बस खाना हेल्दी खाएं. वॉकिंग-रनिंग करते रहें ताकि अचानक से बॉडी को शॉक न लगे. इसके अलावा मसल्स की स्ट्रेचिंग करते रहें और पानी पीते रहें. यदि आपका रूटीन में एक्टिव नहीं है तो हल्की फुल्की एक्सरसाइज से शुरुआत करें और धीरे-धीरे इंटेंसिटी बढ़ाएं. एक साथ ही पूरी चढ़ाई पूरी न करें. धीरे-धीरे क्षमता के मुताबिक चढ़ें. और हां सबसे अहम बात, बॉडी की भी सुनें और अधिक लोड न डालें. ट्रेक के दौरान नियमित रूप से ब्रेक लें और अगर आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो डॉक्टर से मदद लेने में संकोच न करें.'
कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस का रखें ध्यान
4 धाम यात्रा के लिए लंबी समय तक आपको कई किलोमीटर पैदल चढ़ाई वाले क्षेत्रों से गुजरना होगा जिसके लिए मज़बूत कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस की जरूरत होती है. आप अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में पैदल चलना, जॉगिंग करना, साइकिल चलाना या स्विमिंग जैसी एक्टिविटियां शामिल करें. एंड्यूरेंस बढ़ाने के लिए हफ्ते में 5 दिन कम से कम 30-45 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज करें.'
कैसे रखें डाइट?
डॉ. अमर कहते हैं, 'कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और विटामिन से भरपूर संतुलित आहार को प्राथमिकता दें. अपने भोजन में साबुत अनाज, फल, सब्जियां, ड्राईफ्रूट और लीन प्रोटीन शामिल करें. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, कैफीन और शराब का सेवन कम करते हुए खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें.'