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29 साल की आलिया भट्ट ने दिया बेटी को जन्म, डिलीवरी के बाद नई माएं ऐसे करें अपनी देखभाल

Alia Bhatt and Ranbir Kapoor: आलिया भट्ट ने आज बेबी गर्ल को जन्म दिया है. डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम पीरियड में मां की ओर देखभाल करनी जरूरी है ताकि वह वापस से पुरानी अवस्था में आ सके और अच्छे से नवजात शिशु की देखभाल कर सके.

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बाएं तरफ रणबीर कपूर और आलिया भट्ट - दाएं तरफ सांकेतिक तस्वीर (Image credit: Insatgram and getty images)
बाएं तरफ रणबीर कपूर और आलिया भट्ट - दाएं तरफ सांकेतिक तस्वीर (Image credit: Insatgram and getty images)

आलिया भट्ट ने आज 6 नवंबर 2022 को एचएन रिलायंस हॉस्पिटल में बेबी गर्ल को जन्म दिया. जानकारी मिलने के बाद से सभी ने बधाइयां देनी शुरू कर दी हैं. दोनों की शादी 14 अप्रैल 2022 को हुई थी और 27 जून को आलिया भट्ट ने अपनी प्रेग्नेंसी का ऐलान किया था. आलिया भट्ट अभी 29 साल की हैं और रणबीर कपूर 40 साल के हैं. डिलीवरी के कुछ समय बाद डॉक्टर की सलाह पर आलिया को घर लाया जाएगा. 

डिलीवरी के बाद के समय को पोस्टपार्टम पीरियड (Postpartum period) कहते हैं. Stanfordchildrens के मुताबिक, बच्चे को जन्म देने के बाद किसी भी महिला को नॉर्मल स्थिति में आने में 6 से 8 हफ्ते का समय लगता है. 

पोस्टपार्टम पीरियड में किसी भी मां में इमोशनल और फिजिकल बदलाव देखने मिलते हैं. इस समय बच्चे को जन्म देने वाली मां की देखभाल करनी जरूरी है ताकि वह वापस से पुरानी स्थिति में आ सके और नवजात शिशु की देखभाल कर सके. बच्चे को जन्म देने के बाद कुछ हफ्ते तक कुछ चीजों का ख्याल रखने की जरूरत होती है. जैसे:

आराम (Rest)

Stanfordchildrens के मुताबिक, नवजात बच्चे लगभग हर 3 घंटे में जाग जाते हैं और उन्हें दूध पिलाने, डाइपर बदलने के लिए मां को भी बार-बार उनके साथ उठना होता है. अगर यह किसी का पहला बच्चा है तो उसे अधिक थकावट महसूस हो सकती है और यह भी हो सकता है कि कई महीनों तक वह पर्याप्त नींद ना ले पाए. पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान मां को आराम की सख्त जरूरत होती है. आराम के लिए मां हमेशा बच्चे के साथ सोए ताकि उसकी नींद पूरी हो सके. अगर फैमिली में सास या ननद हैं और बच्चा खेल रहा है तो कुछ समय के लिए वह उसे संभाल सकती हैं तब तक मां आराम कर सकती है.

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न्यूट्रिशन (Nutrition)

प्रेग्नेंसी, डिलीवरी और पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं. इन बदलावों से उबरने में रेस्ट करने के अलावा जो चीज मदद करती है वो है 'न्यूट्रिशन'. प्रेग्नेंसी में बढ़ा हुआ वजन रिकवर होने और ब्रेस्ट फीडिंग के स्टोरेज को बढ़ाने में मदद करता है इसलिए हमेशा डिलीवरी के बाद हेल्दी और बैलेंस डाइट लेने की जरूरत होती है ताकि आप एक्टिव रहें और बच्चे की भी अच्छे से देखभाल कर सकें.

अधिकांश ब्रेस्टफीडिंग एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि मां को भूख लगने पर ही खाना चाहिए. लेकिन कई महिलाएं इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि वह खाना-पीना ही भूल जाती हैं. इसका असर शिशु पर हो सकता है इसलिए हमेशा समय से खाना खाएं. 

डाइट में अनाज जैसे गेहूं, चावल, जई, कॉर्नमील, जौ, ब्राउन राइस और दलिया अन्य अनाज से बने खाद्य पदार्थ शामिल करें. सब्जियों में गहरे हरे, लाल और नारंगी रंग की सब्जियां, फलियां (मटर और बीन्स), और स्टार्च वाली सब्जियों खाएं. फलों में कोई भी फल खा सकते हैं लेकिन डिब्बाबंद फल ना खाएं. डेयरी प्रोडक्ट में दूध से बने कई खाद्य पदार्थ खा सकते हैं क्योंकि उनमें कैल्शियम काफी अधिक होता है. प्रोटीन वाली चीजों में लो-फैट या लीन मीट चुनें. मछली, अंडे, नट, बीज, मटर और बीन्स खा सकती हैं.

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फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)

पोस्टपार्टम पीरियड में मां को कुछ हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी भी करनी चाहिए. डिलीवरी के बाद अधिकांश महिलाएं अपना बढ़ा हुआ वजन कम करना चाहती हैं लेकिन डाइटिंग के कारण तेजी से वजन घटाने में मदद तो मिल सकती है लेकिन उससे आपकी और बच्चे की सेहत पर गलत असर हो सकता है. वजन कम करने के लिए डाइटिंग की अपेक्षा एक्सपर्ट की सलाह लें. बैलेंस डाइट के साथ फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं.

घर के कामों के लिए मदद लें (get help with household chores)

कई बार महिलाएं बच्चा होने के कुछ समय बाद ही घर की जिम्मेदारी निभाने में जुट जाती हैं लेकिन ऐसा करने से उनको अधिक थकान हो सकती है क्योंकि बच्चे की देखभाल के बाद घर के काम करना काफी मुश्किल हो सकता है. कोशिश करें कि उस समय किसी रिलेटिव या घर वालों को घर के काम करने दें और आप बच्चे की देखभाल करें. ऐसा करने से आपको फिजिकली और मेंटली रूप से आराम मिलेगा.

 

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