घटती जीवन प्रत्याशा और मौजूदा लाइफस्टाइल को देखते हुए खान-पान की चीजों को लेकर गंभीर रहना जरूरी हो गया है. क्या आप जानते हैं बाजार में महंगे दामों पर बिकने वाला पिज्जा आपकी उम्र घटा रहा है. एक स्टडी के मुताबिक, पिज्जा का एक स्लाइस खाने से इंसान की जिंदगी के करीब 7-8 मिनट कम हो सकते हैं.
Photo: Getty Images
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के एक्सपर्ट ने खाने की कुछ चीजों की कैल्कुलेशन कार्बन फुटप्रिंट्स और पोषण के आधार पर की है. टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बादाम खाने से आपकी जिंदगी के खाते में 26 मिनट ज्यादा जुड़ सकते हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीनट बटर और जैम सैंडविच खाने से किसी इंसान की उम्र में आधे घंटे से ज्यादा का इजाफा हो सकता है. वहीं, पिज्जा समेत बेकॉन और बर्गर जैसी चीजें इंसान की जिंदगी को छोटा करने का काम कर रही हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि पिज्जा खाने से किसी इंसान की जिंदगी के लगभग 10 मिनट खत्म हो जाते हैं.
Photo: Getty Images
जर्नल नेचर फूड में प्रकाशित यह स्टडी स्वस्थ जीवन प्रत्याशा पर आधारित है. वैज्ञानिकों ने लगभग 6,000 मामलों में कई तरह के फूड, स्नैक्स और ड्रिंक्स के प्रत्यक्ष प्रभाव को कैल्कुलेट किया है. स्टडी के लेखकों ने लिखा, 'हमने पाया कि अमेरिका में प्रतिग्राम प्रोसेस्ड मीट का सेवन करने वाले लोगों की औसत उम्र 0.45 मिनट कम हो रही है.'
Photo: Getty Images
इस लिहाज से एक हॉटडॉग सैंडविच में मौजूद 61 ग्राम प्रोसेस्ड मीट इंसान की जिंदगी के 27 मिनट कम कर सकता है. जबकि इसमें मौजूद सोडियम और ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा एक अलग चिंता का विषय है. इसमें मौजूद पॉलीसैचुरेटेड फैट और फाइबर से होने वाले फायदों को कैल्कुलेट कर लें, तब भी फाइनल वेल्यू में हॉटडॉग हमारी जिंदगी के 36 मिनट कम करता है.
Photo: Getty Images
यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह स्टडी न सिर्फ लोगों को एक हेल्दी लाइफ के प्रति जागरूक करेगी, बल्कि एनवायरोमेंट पर भी अच्छा असर पड़ेगा. शोधकर्ताओं ने हर फूड को एक ट्रैफिक लाइट रेटिंग दी है, जो बताती है कि हमें कोई फूड कम खाना चाहिए या ज्यादा.
अपनी बेहतरीन न्यूट्रिशनल वेल्यू की वजह से साल्मन फिश ने इसमें ग्रीन स्कोर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल्मन फिश इंसान की जिंदगी में 16 मिनट जोड़ सकती है. हालांकि पर्यावरण पर असर को देखते हुए इसने ओवरऑल परफॉर्मेंस में रेड स्कोर किया है.
Photo: Getty Images
स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता केटरीना स्टाइलियानु ने दावा किया कि प्लांट बेस्ड फूड का परफॉर्मेंस ज्यादा बेहतर होता है. प्लांट बेस्ड फूड और एनिमल बेस्ड फूड एक-दूसरे से काफी अलग होते हैं. कई एक्सपर्ट्स तो प्लांट बेस्ड प्रोटीन को एनिमल बेस्ड प्रोटीन से ज्यादा बेहतर बताते हैं.
Photo: Getty Images
पहले भी कई स्टडीज में ऐसा दावा किया जा चुका है कि प्रोसेस्ड मीट में पाए जाने वाले तत्वों की अक्सर पहचान करना मुश्किल होता है. इसमें मौजूद तत्व कैमिकल्स, कलर और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले स्वीटनर्स हो सकते हैं.