भारतीय घरों में मसालों का इस्तेमाल पकवानों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया ही जाता है, लेकिन इनका सही उपयोग स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद माना जाता है. इन्ही में मसालों में काली मिर्च और सफेद मिर्च का नाम भी शामिल हैं. हालांकि, बहुत कम लोगों को सफेद मिर्च और काले मिर्च के बीच अंतर के बारे जानकारी होती है.
कैसे बनाए जाते हैं काली और सफेद मिर्च
जब पाइपर नाइटग्राम के फल पक जाते हैं तो उन्हें काटकर धूप में सुखाया जाता है. ऐसा करने से इनका रंग काला हो जाता है. वहीं सफेद रंग के लिए इन्हीं नाइटग्राम को हफ्ते भर के लिए पानी में भिगोकर रखा जाता है. इससे उसका बाहरी परत हट जाता है और सफेद हो जाता है. फिर उन्हें अच्छे से सूखा लिया जाता है.
कई बीमारियों के खिलाफ काली मिर्च रामबाण
काली मिर्च में पेपरिन नाम का कंपाउंड होता है. इसका सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिसके चलते पाचन तंत्र सही रहता है और वजन में भी कमी आने की संभावनाएं बनी रहती है. इसके अलावा काली मिर्च का तीखापन भी सफेद मिर्च से ज्यादा होता है. अगर आपको सर्दी-जुकाम की समस्याएं होती रहती हैं तो आपके लिए ये मिर्च फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा एक्सपर्ट्स अर्थराइटिस के मरीजों को भी काली मिर्च के सेवन की सलाह देते हैं.
ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए सफेद मिर्च फायदेमंद
सफेद मिर्च ब्लड प्रेशर को कम करने वाला में मददगार साबित हो सकता है, जिससे आपका हार्ट हेल्थ बेहतर हो सकता है. हालांकि, ऊपरी परत हट जाने की वजह से सफेद मिर्च की न्यूट्रीशनल वैल्यू काली मिर्च के मुकाबले कम होती है. इस मिर्च का अधिकतर उपयोग कम तीखेपन वाली डिशेज को बनाने में किया जाता है.
काली मिर्च की तुलना में सफेद मिर्च की शेल्फ लाइफ कम
ऊपरी परत हट जाने के चलते सफेद मिर्च काली मिर्च की तुलना में जल्दी खराब हो जाती है. समय के साथ इसकी सुगंध और स्वाद खोने की आशंका अधिक होती है. इसकी शेल्फ लाइफ और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इसे गर्मी और नमी से दूर, एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करना चाहिए.