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'हमने 97 लाख लोगों से राय ली, याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय को रिप्रेजेंट नहीं करते', वक्फ कानून के पक्ष में SC में बोली सरकार

सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वक्फ कानून में बदलाव को लेकर व्यापक स्तर पर चर्चा और परामर्श किया गया है. तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि "याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं."

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सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून पर आज दूसरे दिन की सुनवाई(Aaj Tak Graphics)
सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून पर आज दूसरे दिन की सुनवाई(Aaj Tak Graphics)

वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई बुधवार को शुरू हुई. इस अहम सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून का पक्ष मजबूती से रखा.

सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वक्फ कानून में बदलाव को लेकर व्यापक स्तर पर चर्चा और परामर्श किया गया है. तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि "याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं."

97 लाख से ज्यादा लोगों से मिले सुझाव

उन्होंने बताया कि इस विषय पर 97 लाख से अधिक लोगों से सुझाव प्राप्त हुए, और कई स्तरों पर मीटिंग्स आयोजित की गईं जिनमें इन संशोधनों पर विस्तार से चर्चा हुई.

एसजी ने बताया कि 25 वक्फ बोर्डों से राय ली गई, जिनमें से कई ने खुद आकर अपनी बातें रखीं. इसके अलावा राज्य सरकारों से भी सलाह-मशविरा किया गया. तुषार मेहता ने बताया कि "संशोधन के हर क्लॉज पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ. कुछ सुझावों को स्वीकार किया गया, जबकि कुछ को नहीं माना गया."

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सरकार की दलील

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीआर गवई ने सवाल उठाया कि उनका तर्क है कि इस मामले में सरकार अपना दावा खुद तय करेगी? इस पर SG मेहता ने कहा, "यह बात सही है कि सरकार खुद के दावे की पुष्टि नहीं कर सकती. शुरुआती बिल में कहा गया था कि कलेक्टर फैसला करेंगे. आपत्ति यह थी कि कलेक्टर अपने मामले में न्यायाधीश होंगे. इसलिए जेपीसी ने सुझाव दिया कि कलेक्टर के अलावा किसी और को नामित अधिकारी बनाया जाए." उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व अधिकारी केवल रिकॉर्ड के लिए निर्णय लेते हैं, टाइटल का अंतिम निर्धारण नहीं करते.

SG मेहता ने कहा, "सरकार ज़मीन को सभी नागरिकों के ट्रस्टी के रूप में रखती है. वक्फ उपयोग के आधार पर होता है- यानी वह ज़मीन किसी और की है, लेकिन उपयोगकर्ता ने लम्बे समय तक प्रयोग किया है. ऐसे में जरूरी रूप से यह या तो निजी या सरकारी संपत्ति होती है. अगर कोई भवन सरकारी ज़मीन पर है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति उसकी है या नहीं?" यही प्रावधान धारा 3(C) के अंतर्गत किया गया है.

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बहुपक्षीय विचार विमर्श

सरकार ने यह भी कहा कि संयुक्त संसदीय समिति में भी इस विधेयक को लेकर गहन चर्चा हुई थी. तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए हर बिंदु का जवाब बिंदुवार तरीके से दिया जाएगा.

सरकार का रुख साफ रहा कि यह संशोधन केवल कुछ व्यक्तियों की राय पर आधारित नहीं है, बल्कि संपूर्ण प्रक्रिया बहुपक्षीय विचार-विमर्श के बाद पूरी की गई है.
 

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