आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोपी और अरविंद केजरीवाल के करीबी विभव कुमार की जमानत पर तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई हुई. विभव कुमार के वकील ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि स्वाति मालीवाल ने CM के ड्राइंग रूम की जगह इसलिए चुनी क्योंकि वहां कोई सीसीटीवी नहीं है. वह जानती थीं कि वहां कोई सीसीटीवी नहीं हैं इसलिए उन्होंने ऐसी जगह चुनी जिससे बाद में आरोप आसानी से लगाए जा सकें. विभव के वकील द्वारा दी गई दलीलों के बाद स्वाति मालीवाल अदालत में रो पड़ीं.
सुनवाई के दौरान विभव के वकील ने कहा कि उनकी याचिका सुनवाई योग्य है और इस कोर्ट का क्षेत्राधिकार है. विभव के वकील ने स्वाति का बयान पढ़ा. वकील ने कहा, 'वह उन्हें कॉल कर रही थीं? उन्होंने (विभव) सबसे पहले उसे (स्वाति) बुलाया! वह कहती हैं कि वह नहीं पहुंच सकतीं. फिर उन्होंने एक व्हाट्सएप मैसेज भेजा. वह यह नहीं बता रही हैं कि क्या वह सीएम के बुलाने पर उनसे मिलने आई थी! उन्होंने जो किया वह अतिक्रमण के समान है. क्या कोई ऐसे कहीं भी घुस सकता है? यह सीएम का आवास है.'
विभव के वकील की दलील
वकील ने कहा,'जब स्वाति ने एंट्री करने का प्रयास किया तो उस पर आपत्ति हुई, जिसे उसने नजरअंदाज कर दिया. वकील ने कहा, एक सूचना थी कि Appointment के बारे में कोई जानकारी नहीं है, उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया.'
वकील ने कहा, 'सांसद बनने से आपको वह करने का लाइसेंस मिल जाता है जो आप चाहते हैं? उनकी तरफ से उकसाया गया कि एक सांसद को बाहर इंतजार कराओगे क्या? विभव के वकील ने सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस ने सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट की अनदेखी क्यों की है. ये कैसी जांच है? वह परेशानी पैदा करने के पूर्वनिर्धारित इरादे से आई थीं.वह बार-बार आती रहती हैं, इसका मतलब ये तो नहीं है कि उन्हें अतिक्रमण करने का अधिकार मिल गया है?'
सीएम आवास के अंदर ऐसा कैसे हो सकता है- वकील
विभव के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा- 'वह मेरी पार्टी से सांसद हैं! वह कोई आम आदमी नहीं है. स्वाति ने कहा कि तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? कौन सी बात है? कोई बातचीत नहीं हुई है! उन्होंने कहा कि वह सीएम से नहीं मिल सकी! वह कहती हैं कि विभव आता है और उन्हें थप्पड़ मारने लगता है. कोई ऐसा क्यों करेगा? इतना कहने का मौका ही कहां था, उन्होंने तो कोई मौका ही नहीं दिया.'
नहीं देखा ऐसा केस
वकील ने कहा, 'आइए, वह जो कह रही है उसे सच भी मान लिया जाए तो उनके पास यह दिखाने के लिए कुछ सबूत तो होने चाहिए कि आरोपी का इरादा गैर इरादतन हत्या करने का था! क्या सीएम आवास पर इतनी सुरक्षा के रहते कोई इस तरह का अपराध करेगा. करीब 3-4 दिन के अंतराल के बाद मेडिकल जांच हुई. दिल्ली पुलिस के बनाए हुए काफी केस देखे, लेकिन ऐसा केस नहीं देखा. यहां पुलिस द्वारा गैर इरादतन हत्या का मामला कैसे बनाया जा सकता है! उनका तर्क है कि विभव वहां मौजूद थे क्योंकि स्वाति मालीवाल ने उन्हें बुलाया था.'
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विभव के वकील ने दी थी ये दलील
आपको बता दें कि पुलिस हिरासत की अवधि खत्म होने से पहले 24 मई को पुलिस ने विभव को कोर्ट में पेश किया गया था. इसके बाद कोर्ट ने विभव कुमार को चार दिनों यानी 28 मई तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
इस आदेश से पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि अदालत के निर्देशों के अनुसार हमने परिवार के सदस्यों और वकील को विभव से मिलने की अनुमति दी थी. वहीं विभव के वकील ने कहा कि न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत दोनों ही आरोपी की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं. किसी भी चीज़ की मांग उचित होनी चाहिए. विभव के वकील ने कहा कि न्यायिक हिरासत 14 दिन की होती है. लेकिन पुलिस 4 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग कर रही है.
'विभव ने मुझे 7-8 थप्पड़ मारे'
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में स्वाति ने अपने साथ हुई मारपीट के बारे में बताया. उन्होंने कहा, 'मैं 13 मई को सुबह 9 बजे के करीब अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पर गई थी. मुझे वहां स्टाफ ने ड्रॉइंग रूम में बिठाया और बताया कि अरविंद जी घर पर हैं और वह मुझसे मिलने आ रहे हैं. उतने में विभव कुमार जो उनके पीएस थे, वो वहां पर धनधनाते हुए आते हैं. मैंने उनसे बोला भी कि क्या हुआ, अरविंद जी आ रहे हैं, क्या हो गया. इतने में ही उन्होंने हाथ छोड़ दिया.'
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स्वाति ने कहा, 'उन्होंने (विभव ने) मुझे 7-8 थप्पड़ पूरी जोर से मारे. जब मैंने उन्हें पुश करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरा पैर पकड़ लिया और मुझे नीचे घसीट दिया, उसमें मेरा सिर सेंटर टेबल से टकराया. मैं नीचे गिरी और फिर उन्होंने मुझे लातों से मारना शुरू किया. मैं बहुत जोर-जोर से चीख-चीखकर हेल्प मांग रही थी लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया.'