सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है. SC ने मध्य प्रदेश में भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. यानी ASI का सर्वे चलता रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लेकिन हमारी इजाजत के बिना ASI रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. वहां फिजीकल खुदाई आदि ऐसा कुछ ना हो, जिससे धार्मिक चरित्र बदल जाए. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है.
मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर कर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की और कहा कि ऐसी कोई फिजिकली खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे संरचना का स्वरूप बदल जाए या संरचना को नुकसान पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अदालत की अनुमति के बिना एएसआई सर्वे के नतीजे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. एएसआई सर्वे को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब मांगा है. वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा, हम यह कहना चाहते हैं कि खुदाई ना की जाए.
'हाईकोर्ट ने साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश दिया था'
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भोजशाला मंदिर में सर्वे करने का निर्देश दिया था. HC के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि सर्वे के नाम पर परिसर में कोई भी भौतिक उत्खनन नहीं किया जाना चाहिए.
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'मुगल आक्रांताओं ने मंदिर तोड़ा, मस्जिद बना दी?'
मध्य प्रदेश में राजा भोज की नगरी कहे जाने वाले धार शहर की ऐतिहासिक इमारत भोजशाला में ASI यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण किया जा रहा है. हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन् 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था, लेकिन करीब छह शताब्दी बाद मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था और मस्जिद बना दी थी.
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काशी और मथुरा के बाद मध्य प्रदेश की भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को दिया था. कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट कहा कि एएसआई भोजशाला की ऐतिहासिकता का वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वेक्षण करे. जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देव नारायण मिश्र की पीठ ने कहा, एक्सपर्ट कमेटी दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम सहित सभी उपलब्ध वैज्ञानिक तरीकों के साथ परिसर के पचास मीटर के दायरे में समुचित स्थानों पर जरूरत पड़ने पर खुदाई करके सर्वेक्षण करे. तस्वीरें और वीडियो बनाए जाएं. 29 अप्रैल के पहले रिपोर्ट दी जाए. कोर्ट ने 29 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख भी लगा दी थी. अगले दिन से ही सर्वे का काम शुरू हो गया था.