प्रवर्तन निदेशालय यानी ED के निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अपने ही पिछले आदेश की वापसी वाली अर्जी पर सवाल उठाते हुए सख्त टिप्पणियां कीं. अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि विधायी परिवर्तन से पहले के आदेश को वापस लेने का कोई कानूनी आधार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ईडी प्रमुख के सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और मोहलत दी. SC ने सितंबर 2021 में पारित आदेश को वापस लेने की केंद्र की अर्जी पर सवाल उठाया है.
इस आदेश में प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को 16 नवंबर, 2021 से आगे बढ़ाने से रोक दिया गया था. अदालत ने मौखिक रूप से केंद्र सरकार को बताया कि बाद में विधायी परिवर्तन पहले के फैसले या आदेश को वापस लेने या संशोधित करने का आधार नहीं हो सकता है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में किए गए बाद के संशोधनों पर निर्भर है. इसमें ईडी निदेशक के कार्यकाल को 5 साल तक बढ़ाने की अनुमति दी गई है.
जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने ईडी निदेशक एसके मिश्रा को तीसरी बार दिए गए सेवा विस्तार और सीवीसी संशोधन अधिनियम 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिसंबर में हुई पिछली सुनवाई के दौरान सरकार को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है.
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