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सर्जरी के Live प्रसारण पर रोक लगाने की मांग, याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें डॉक्टरों को सर्जरी के लाइव प्रसारण के साथ मेडिकल लाइव चर्चा आयोजित करने और उसका इंटरनेट के जरिए दुनिया भर में सजीव प्रसारण करने पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

किसी भी सर्जरी के लाइव  प्रसारण (LSB) को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने को तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और नेशनल मेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ उस याचिका पर सुनवाई  कर रही थी, जिसमें डॉक्टरों को सर्जरी के लाइव प्रसारण के साथ मेडिकल लाइव चर्चा आयोजित करने और उसका इंटरनेट के जरिए दुनिया भर में सजीव प्रसारण करने पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है.

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि ये कुछ वैसा ही होता है, जैसे विराट कोहली क्रिकेट खेलते हुए लाइव कमेंट्री भी कर रहे हों. इस पर कई देशों ने पाबंदी लगाई हुई है. क्योंकि अव्वल तो सर्जरी में ज्यादा एकाग्रता की जरूरत होती है. एम्स में भी ऐसे ही एक लाइव प्रदर्शन सर्जरी के दौरान ही एक व्यक्ति की मौत ऑपरेशन टेबल पर ही हो गई थी. 

दरअसल कुछ लोग इस बात पर सहमत हो गए, क्योंकि उन्हें बताया गया है कि विदेशी सर्जन ऑपरेशन करेंगे. उसका लाइव प्रसारण भी होगा. ऐसे में सर्जन का ध्यान उन लोगों पर भी होगा जो ऑपरेशन थिएटरों के बाहर इस सर्जरी को देख रहे हैं. कुछ मामलों में तो मरीजों और उनके परिजनों को चिकत्सा प्रक्रिया को समझाए बिना सर्जिकल शुल्क में छूट और रियायत की पेशकश भी की जाती है.

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राष्ट्रीय राजधानी के एक अग्रणी अस्पताल ने 2015 में एलएसबी आयोजित किया था. सर्जरी के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई. विज्ञापन और प्रायोजन इसे अनुमति देने के लिए मुख्य प्रेरणा होते हैं. याचिका में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग MNC को इस मुद्दे की नियमित निगरानी करने और लाइव सर्जरी के संचालन को विनियमित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि आयोग भी एलएसबी सूचित सहमति के बारे में गंभीर चिंताएं उठाता है. क्योंकि लाइव प्रसारण से सर्जन का ध्यान बंट सकता है. संभावित रूप से उन्हें जोखिम में डाल सकता है.

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