मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने के मामले पर प्रदेश सरकार को फिर हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया है.
हाई कोर्ट ने कहा कि वो ओबीसी आरक्षण पर कोई अंतरिम आदेश नहीं सुनाएगा बल्कि जब फाइनल सुनवाई पूरी होने के बाद अब सीधे अंतिम फैसला सुनाया जाएगा. हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले पर फाइनल हियरिंग के लिए 20 सितंबर की तारीख तय की है. बता दें कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अंतरिम आवेदन दायर करके बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक हटाने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने फिलहाल नामंजूर कर दिया है.
शिवराज सरकार को झटका
राज्य सरकार की ओर से देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की लेकिन उनकी तमाम दलीलों के बावजूद हाई कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इंकार कर दिया. हाई कोर्ट ने तय किया है कि बढ़े हुए आरक्षण के पक्ष और विपक्ष की ज़िरह को अलग अलग सुना जाएगा. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है जिसका सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन दूर करने के लिए बढ़ा हुआ आरक्षण देना ज़रुरी है.
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि महाराष्ट्र के मराठा रिज़र्वेशन को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुकी है कि सिर्फ ज्यादा आबादी, आरक्षण बढ़ाने का आधार नहीं हो सकती.
सरकार के पक्ष में आएगा फैसला- भूपेंद्र सिंह
हाई कोर्ट की सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को तय हुई है और मुझे लगता है कि फैसला सरकार के पक्ष में आएगा. आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकीलों ने अनेकों उदाहरण देकर बताया कि ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा सकता है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडवोकेट जनरल पुरूषेद्र कौरव ने सरकार का पक्ष पूरी गंभीरता से रखते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिले. 20 सितम्बर के दिन होने वाली सुनवाई में हम एक बार फिर सभी तथ्यों को कोर्ट के सामने रखेंगे. हमें पूरा विश्वास है फैसला सरकार के पक्ष में आएगा. अगर कोई दिक्कत आती है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. ओबीसी को 27% आरक्षण मिले इसे लेकर शिवराज जी की सरकार पूरी तरह से संकल्पित है, इसमें कोई कसर हम बाकी नहीं छोड़ेंगे.