नॉर्थ ईस्ट दिल्ली दंगा मामले में तीन आरोपियों को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी. दिल्ली पुलिस ने दंगे के आरोपियों को मिली जमानत और यूएपीए को लेकर की गई दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
पिछले साल फरवरी में हुए दंगों के मामले में आरोपी देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तनहा और नताशा नरवाल को दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते 15 जून को जमानत दे दी थी. साथ ही इन पर लगाई गई यूएपीए की धारा को लेकर भी टिप्पणी की थी और दिल्ली पुलिस को आइना दिखाया था. हाई कोर्ट के इसी फैसले को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
गुरुवार को इस मसले पर सुनवाई हुई. जस्टिस एसके कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने पाया कि जमानत देना और UAPA को लेकर व्याख्या करना, दोनों ही अलग मामले हैं. जस्टिस कौल ने ये भी कहा कि इस तरीकी की व्याख्या बेल ऑर्डर में नहीं की जानी चाहिए थी. बेल तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए, न कि कानूनी प्रावधान की व्याख्या पर.
बहरहाल, लंबी बहस के बाद दिल्ली पुलिस और आरोपियों के वकील दोनों ही पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई टालने का अनुरोध किया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है.
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