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पीड़िता ने कहा- वो अब 'बदल' गया है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कम की यौन अपराधी की सजा

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जिम मालिक की सजा को कम कर दिया है, जिसे यौन अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था. पीड़िता ने व्यक्ति को प्रोबेशन पर रिहा करने की बात कही थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी ये मांग ठुकरा दी. कोर्ट ने दोषी पर लगे जुर्माने को बढ़ा दिया और उसकी सजा को कम कर दिया है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2015 में दर्ज हुआ था यौन अपराध का केस
  • मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी
  • हाईकोर्ट ने सजा कम की, जुर्माना बढ़ाया

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच ने एक जिम मालिक की सजा को कम कर दिया है, जिसे यौन अपराध (Sexual Offence) के लिए दोषी ठहराया गया था. जिम मालिक को एक महिला का पीछा करने, उसके घर में जबरदस्ती घुसने, प्यार का इजहार करने और यौन संबंध बनाने के मामले में दोषी ठहराया गया था. 

लेकिन अब उसी महिला ने हाईकोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि समय बीतने के साथ दोषी व्यक्ति 'बदल' गया है और समाज का 'अच्छा व्यक्ति' बन गया है, इसलिए उसे प्रोबेशन पर रिहा किया जाए.

इस मामले में शख्स के खिलाफ 2015 में भंडारा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया था. चार्जशीट दाखिल होने के बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसे दो साल के कठोरतम कारावास की सजा सुनाई थी. साथ ही 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. जिम मालिक ने 2017 में भंडारा सेशन कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे 2020 में खारिज कर दिया गया था. बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा.

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हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित देव ने कहा कि निचली अदालतों ने जो भी फैसले दिए हैं, उसमें दखल देने की कोई गुंजाइश ही नहीं है. 

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हालांकि, कोर्ट ने ये भी देखा कि इस मामले में पीड़ित महिला ने एक नया हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया था कि वो आदमी अब 'बदल' गया है. हलफनामा दाखिल करते समय महिला अपने पति के साथ अदालत में ही मौजूद थी. इस पर जस्टिस देव ने कहा, 'इस मामले में प्रोबेशन का फायदा देने की कोई गुंजाइश नहीं है. वो व्यक्ति यौन अपराध का दोषी है और किसी यौन अपराध के दोषी को प्रोबेशन पर रिहा करने सही नहीं होगा.'

इसके बाद कोर्ट ने महिला के हलफनामा को देखते हुए सजा को संशोधित करने की बात कही. कोर्ट ने दोषी व्यक्ति पर लगे जुर्माने को बढ़ा दिया और उसकी सजा को कम कर दिया. हाईकोर्ट ने उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. कोर्ट ने कहा कि अगर व्यक्ति 7 दिन के अंदर जुर्माने की रकम जमा नहीं कराता है तो उसे एक साल की सजा काटनी होगी.

 

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