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ऑटो में बच्ची का यौन शोषण करने वाले आरोपियों को जमानत नहीं, बॉम्बे HC ने बताया असाधारण मामला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने चलते ऑटो में नाबालिग बच्ची के साथ यौन शोषण करने वाले आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि ये कोई साधारण मामला नहीं है. इस तरह के अपराध से समाज पर प्रभाव पड़ता है. आरोपी ने कोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को मनगढ़ंत बताया था.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोर्ट ने कहा, समाज को प्रभावित करते हैं ऐसे अपराध
  • हाईकोर्ट ने 9 महीने में ट्रायल पूरे करने के आदेश दिए

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने पुणे की कोर्ट को उन आरोपियों के ट्रायल में तेजी लाने का आदेश दिया है, जिन्होंने पिछले साल चलते ऑटो में एक नाबालिग के साथ यौन शोषण (sexually assaulted) किया था और बाद में उसे फेंककर भाग गए थे. इस मामले में एक आरोपी (Accused) ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका (Bail Plea) दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले को 'असाधारण' बताते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया. 

कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, 'ये कोई साधारण मामला नहीं है. वारदात के वक्त लड़की की उम्र मात्र 12 साल थी. साथ ही वो एससी-एसटी समुदाय की थी. इस तरह के अपराध का समाज पर प्रभाव पड़ता है.' हाईकोर्ट ने पुणे की कोर्ट को इस मामले का ट्रायल 9 महीने में खत्म करने का आदेश दिया है.

क्या है मामला?

घटना पिछले साल 29 फरवरी की है. एक महिला ने अपनी बच्ची को स्कूल के गेट पर छोड़ा और अपने काम पर चली गई. बाद में उसे फोन आया कि तीन लोगों ने उसकी बेटी की पिटाई है. महिला जब घर पहुंची तो पता चला कि लंच ब्रेक के दौरान करीब 9:30 बजे उसकी बच्ची स्कूल के बाहर प्रोजेक्ट के लिए कुछ सामान खरीदने गई थी. 

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तभी वहां एक ऑटो रिक्शा रुका और दो लोगों ने बच्ची को अंदर खींच लिया. एक व्यक्ति ऑटो चला रहा था, जबकि दूसरा बच्ची का मुंह दबाकर उसके साथ यौन शोषण कर रहा था. बाद में आरोपी बच्ची को फेंक कर चले गए. बच्ची ने अपने साथ हुई इस घटना का जिक्र एक व्यक्ति और वॉचमैन से भी किया था. 

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आरोपी बोला- मनगढ़ंत कहानी है

कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने वाले एक आरोपी ने कोर्ट में घटना को मनगढ़ंत कहानी बताया है. आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील जहानारा सरखोट ने दलील देते हुए कहा, CCTV फुटेज से पता चलता है कि पीड़िता को ऑटो से धक्का नहीं दिया गया था, बल्कि वो खुद कूद गई थी. वकील ने दावा किया कि आरोपियों और पीड़िता के परिवार के बीच आपसी अनबन होती रहती है और स्थानीय थाने में दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई केस दर्ज करवाए हैं.

कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बेंच ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट समेत तमाम गवाह और सबूत इस अपराध में आरोपियों के शामिल होने का इशारा करते हैं. कोर्ट ने कहा कि क्योंकि आरोपी, पीड़ित और पीड़ित का परिवार आसपास ही रहते हैं, ऐसे में आरोपी गवाह और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. 

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