15 अगस्त 1947 की सुबह आसमान खिला हुआ था और उससे ज्यादा खिली हुई थी लाखों हिंदुस्तानियों की खुशी . कुछ आंसूओं डूबी और मुस्कानों में खिली हुई. चंद घंटों पहले ही यह देश गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ था. अपने लिए आजादी के नए अफसाने लिखते हुए. कुछ ख्वाब सजाते कुछ अरमान जगाते अपनी नियती से भारत ने ऐसा मिलन कभी देखा कहां था.