उत्तराखंड में बीजेपी विधायकों के बीच पनपे असंतोष और सत्ताविरोधी लहर को को काबू करने के लिए पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री चेहरे को बदल दिया. सत्ता की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर पार्टी ने तीरथ सिंह रावत सौंप दी. अब उत्तराखंड में बीजेपी के मुख्यमंत्री बदलने के बाद नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने ही पुराने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले एक-एक कर पलटते जा रहे हैं. पिछले तीन दिनों में उन्होंने तीन अहम फैसले बदल दिए हैं. यह बात त्रिवेंद्र सिंह रावत को नागवार गुजर रही है, जिसके लिए उन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी है.
कुंभ के कौन-कौन फैसले पलटे गए
उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ चल रहा है. कोरोना संकट को देखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने हरिद्वार स्नान के लिए श्रद्धालुओं पर 72 घंटों के भीतर की कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट लाने के साथ ही अन्य पाबंदियां लागू थीं. लेकिन इस फैसले को अब मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने पलट दिया है.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने घोषणा की है कि कुंभ में आने वाले किसी भी श्रद्धालु के लिए अब कोराना की नेगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी नहीं है. तीरथ ने कहा की महाकुंभ 12 साल में एक बार आयोजित होता है और लोग 12 सालों से कुंभ की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं. ऐसे में जब महाकुंभ आयोजित हो रहा है. इसमें पाबंदियां लगाना ठीक नहीं. इतना जरूर है कि कोरोना प्रोटोकॉल, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर का प्रयोग जरूर करें.
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने शाही स्नान के दिन बसें बंद रखने और ट्रेनों के संचालन पर पाबंदी रखने का निर्णय लिया था. वहीं अब तीरथ सिंह रावत ने अतिरिक्त बसें चलाने के साथ कुंभ स्पेशल ट्रेनों के संचालन के लिए केंद्र सरकार से वार्ता करने की बात कही. ऐसे ही त्रिवेंद्र सरकार ने कुंभ आयोजन में संतों के पंडाल और भजन-कीर्तन पर रोक लगाने की बात कही थी, लेकिन नए सीएम त्रिवेंद्र ने पंडाल लगाने के निर्देश जारी कर दिए.
जिला सहकारी बैंक की भर्ती पर रोक
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में राज्य सहकारी बैंक में भर्ती निकाली गई थी, जिसे तीरथ सिंह रावत ने भर्ती परीक्षा को स्थागित कर दिया है और नए सिरे से भर्ती करने की बात कही जा रही है. जिला सहकारी बैंक की भर्ती परीक्षा रद्द करने की सूचना मंगलवार सुबह दी गई, जिसे लेकर प्रतिभागियों ने जमकर हंगामा किया. अल्मोड़ा में युवाओं ने बाजार में जुलूस निकाला. हालांकि, इस भर्ती को लेकर भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थीं.
चार धाम देवस्थानम बोर्ड पर भी नजर
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक और फैसले को पलटने की तैयारी में हैं. चारधाम और उनके नजदीकी 52 मंदिरों के लिए त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम लेकर आई थी. यह एक्ट अस्तित्व में आने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया गया और व्यवस्थाएं सरकार ने अपने हाथ में ले लीं थी. त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस फैसले का शुरू से ही विरोध हो रहा था.
वहीं, अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सत्ता पर काबिज होते ही उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुर्नविचार का रास्ता भी खोल दिया है. मुख्यमंत्री ने संकेत दिया है कि चारधाम देवस्थानम एक्ट को लेकर पुनर्विचार किया जा सकता है. मुख्यमंत्री के इस रुख के बाद उनके कैबिनेट सहयोगी भी चार धाम देवस्थानम एक्ट के विरोध में खुलकर बोलने लगे हैं.
गैरसैंण कमिश्नरी पर ले सकते हैं फैसला
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चार मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन में गैरसैंण कमिश्नरी की घोषणा कर सबको चौंका दिया था, हालांकि, घोषणा के तुरंत बाद से ही इसका विरोध भी शुरू हो गया था. अल्मोड़ा व बागेश्वर जिलों के लोग निरंतर इस कमिश्नरी का विरोध कर रहे हैं तो इधर ये बात भी उठ रही कि इससे बेहतर तो गैरसैंण को जिला घोषित किया जाता. वहीं, तीरथ सिंह रावत ने शपथ लेने के बाद ही कह दिया है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार किया जाएगा. एक तरह से साफ है कि तीरथ सिंह रावत ने तीन दिन में ही सरकार को अपनी तरह से चलाने का मंसूबा जाहिर कर दिया है.