उत्तराखंड में एक महिला की जान चली जाने के बाद मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद होने पर उंगली उठाई जा रही है. इस महिला को हरिद्धार रोड स्थित जगदंबा ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था. कुछ समय पहले ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद इस ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन किया था. परिजनों का आरोप है कि अगर हॉस्पिटल प्रशासन मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना एमएसबीवाई कार्ड को समय से पंच कर लेता, तो उनके मरीज की जान बच जाती. मरीज की मौत के बाद परिजनों के हंगामे को देख डीएम देहरादून ने एसीएमओ डॉ. केके सिंह को मामले की जांच सौप दी है. इसके साथ ही परिजनों ने नेहरू कॉलोनी थाने में हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ तहरीर भी दे दी है.
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग खुद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह रावत संभाल रहे हैं. इसलिए इतनी बड़ी योजना जिसमें सीधे तौर पर प्रदेश के लाखों गरीब जुड़े हैं, उसका यूं बंद हो जाने से सरकार की कार्यप्रणाली पर उंगली उठ रही है. अभी भी हज़ारों की संख्या में इस योजना से जुड़े मरीज़ पूरे प्रदेश में अपना इलाज़ करवाने के लिए भर्ती हैं, पर योजना बंद होने के बाद अब सबका जीवन राम भरोसे ही है, क्योंकि पैसा उनके पास है नहीं और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद हो चुकी है. सीएम प्रदेश के सूदूरवर्ती इलाकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात कर रहे हैं, मगर प्रदेश की राजधानी देहरादून में ही मरीज़ की पैसे के अभाव में मौत हो जाना अच्छा संकेत तो बिलकुल भी नहीं है.
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज न मिलने के कारण पटेलनगर इलाके में स्थित ब्रह्मपुरी वार्ड निवासी 60 वर्षीय कमला देवी ने अपनी जान गंवा दी.
शव लेने जाने के लिए नहीं दिया एम्बुलेंस
दरअसल, 60 साल की कमला देवी को 9 नवंबर को हरिद्धार रोड स्थित जगदंबा ट्रॉमा सेंटर में एंबुलेंस 108 की मदद से भर्ती कराया गया. महिला के पास एमएसबीवाई कार्ड होने के बावजूद जगदंबा ट्रॉमा सेंटर मरीज को भर्ती कराने से आनाकानी करने लगा. शनिवार सुबह करीब 8 बजे महिला की मौत हो गई. हैरानी की बात यह है कि हॉस्पिटल प्रशासन मौत का कारण हॉर्टअटैक बता रहा है, जबकि इलाज कर रहे डॉक्टर को पता ही नहीं है कि मौत किस वजह से हुई. मौत के बाद का आलम ये है शव को ले जाने के लिए न तो एम्बुलेंस हॉस्पिटल ने ही दी और न ही उत्तराखंड सरकार की सेवा ने. लिहाजा एक टेम्पो में ही लाश को परिजन अपने घर ले गए.
कांग्रेस ने किया विरोध
इस घटना के सामने आने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस को बैठे बिठाये एक मुद्दा जरूर मिल गया. असल में यह योजना हरीश रावत सरकार के दौरान शुरू हुई थी और इसे त्रिवेंद्र सरकार में बंद कर दिया गया. मौके पर पहुंचे कांग्रेस के उत्तराखंड उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने इस घटना के लिए पूरी तरह से त्रिवेन्द सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है. इस योजना के बंद होने की वजह से ये मौत पहली जरूर है, लेकिन आगे ऐसी घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बीमा करने वाली कंपनी ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं और सरकार के पास आश्वासन देने के अलावा अभी कुछ नहीं.