उत्तराखंड आपदा के पीड़ितों को अभी मुआवजे भी पूरे नहीं बांटे गए, लेकिन प्रदेश सरकार ने अपनी छवि चमकाने के लिए विज्ञापनों पर ही 22 करोड़ रुपये खर्च कर डाले.
यह हाल तब है, जब आपदा पीड़ितों को सिर्फ 1.5 करोड़ रुपये की राहत ही बांटी गई है और प्रदेश में बड़े स्तर पर निर्माण कार्य किया जाना है. यानी विजय बहुगुणा सरकार राहत पहुंचाने से ज्यादा अपनी छवि चमकाने में तेजी दिखा रही है.
आपदा के बाद उत्तराखंड बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है. क्षतिग्रस्त हुए इंफ्रास्ट्रक्चर को नए सिरे से ठीक किया जाना है.
क्षतिग्रस्त पड़ी हैं 250 सड़कें और 150 पुल
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ पूजा पर 1 करोड़ 11 लाख, हेमकुंड पर 56 लाख, यमुनोत्री पर 87 लाख और राष्ट्रीय खाद्य योजना पर 7 करोड़ के विज्ञापन दे डाले.
जबकि केदारघाटी में अब तक राहत और पुनर्वास का काम ठीक से शुरू तक नहीं हो सका है. 250 सड़कें बंद हैं, 150 पुल अभी बनने हैं और सर्दियां आने से हालात और मुश्किल होने वाले हैं.
छवि चमकाने में लगी सरकार
आपदाग्रस्त इलाकों में लोग टेंटो में रहने को मजबूर हैं और मुख्यमंत्री और सरकार अपनी छवि चमकाने में व्यस्त हैं. सरकार चाहती है कि विज्ञापनों के जरिये पूरे देश में यह संदेश जाए कि कांग्रेस सरकार की सरपरस्ती में देवभूमि में सब कुछ सामान्य हो गया है.
पर्यटन बढ़ाने के लिए जरूरी था विज्ञापन: CM
जब इस बारे में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से पूछा गया तो वह बोले, 'विज्ञापनों पर कुल कितना खर्च किया गया, मुझे नहीं पता है. लेकिन आपदा के बारे में देश को जानकारी देने के लिए यह जरूरी था. देश भर के लोग यहां फंसे हुए थे. हमारी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर आधारित है, इसलिए हमने देश भर के लोगों को मौजूदा स्थिति की जानकारी दी.'
क्या यह छवि चमकाने की कोशिश है, पूछने पर बहुगुणा ने कहा कि हम बस यह बताना चाहते हैं कि कैसे आपदा आई और कैसे लोगों को बचाया गया. यह छवि चमकाने की नीति नहीं है. हमने बस लोगों को जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी छवि कोई नहीं बिगाड़ सकता.