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उत्तराखंड: मदद के नाम पर मजाक, आपदा पीड़ित को मिला 150 रुपये का चेक

उत्तराखंड आपदा पीड़ितों की मदद को लेकर प्रदेश की विजय बहुगुणा सरकार ने दावे तो बड़े बड़े किए, लेकिन असलियत इससे काफी अलग है. आपदा से प्रभावित हुए कई गांव वालों को सहायता राशि के रूप में चंद सौ रुपये ही मिले हैं.

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नहीं भरे उत्तराखंड आपदा के जख्म
नहीं भरे उत्तराखंड आपदा के जख्म

उत्तराखंड आपदा पीड़ितों की मदद को लेकर प्रदेश की विजय बहुगुणा सरकार ने दावे तो बड़े बड़े किए, लेकिन असलियत इससे काफी अलग है. आपदा से प्रभावित हुए कई गांव वालों को सहायता राशि के रूप में चंद सौ रुपये ही मिले हैं.

बागेश्वर जिले के सैकड़ों पीड़ितों को यह मुआवजा मदद के नाम पर मजाक लग रहा है. उत्तराखंड सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बागेश्वर में अब तक 2 करोड़ 27 लाख 38 हजार 756 रुपये की राशि पीड़ितों में बांटी जा चुकी है.

लेकिन धरातल पर हालात इससे अलग हैं. बागेश्वर के गांव कंडा को सिर्फ 8,680 रुपये मिले हैं. यहां जमीन खिसकने से जानवर, खेत और घरों को काफी नुकसान हुआ था.

गांव में सबसे ज्यादा मुआवजा 789 रुपये
25 किसानों को दी गई सहायता राशि और उनके चेक नंबर की डिटेल्स हमारे सहयोगी अखबार 'मेल टुडे' के पास है. गांव के किसान त्रिलोक सिंह को सबसे ज्यादा 789 रुपये मिले है. गांव में सबसे कम सहायता राशि 150 रुपये किसान श्याम सिंह और फकीर सिंह को बांटी गई है. बहादुर सिंह को 187 और आन सिंह को 244 रुपये मिले हैं.

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जबकि राज्य सरकार ने आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 5 लाख और घर और खेत खो देने वालों के लिए 1 लाख रुपये की सहायता राशि घोषित की है.

डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर के मुताबिक आपदा से बागेश्वर में 2.060 हेक्टेयर जमीन क्षतिग्रस्त हो गई, 261 पालतू पशु मर गए और कम से कम 74 परिवारों के 390 लोग किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए.

पीएम-सोनिया ने किया था हरसंभव मदद का वादा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने हाल ही में कहा था कि 150 करोड़ की सहायता राशि चेक के जरिये बांटी जा रही है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रदेश को हरसंभव मदद करने का भरोसा जताया था. इसके बावजूद मदद के नाम पर मजाक किया जा रहा है.

बीजेपी नेता अजय भट्ट का कहना है कि उत्तराखंड सरकार आपदा नियंत्रण में पूरी तरह नाकाम रही है. सिर्फ इतना ही नहीं, सरकार ने विज्ञापन अभियानों पर 75 करोड़ रुपये फूंक डाले हैं.

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