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उत्तराखंड में ‘वैध-अवैध’ खनन का काला खेल... 'ऑपरेशन सरकार' में कोसी नदी के दोषी बेनकाब

उत्तराखंड में आजतक के स्टिंग ऑपरेशन ने अवैध खनन की भयावह तस्वीर उजागर की है. उधम सिंह नगर की बाजपुर तहसील में कोसी नदी के बीचों-बीच ट्रैक्टर और ओवरलोड डंपर खुलेआम रेत ढोते दिखे. पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे खनन माफिया नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

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उत्तराखंड में कोसी नदी की कोख खोदकर ओवरलोडेड ट्रक रेत ढो रहे. (Photo: ITG)
उत्तराखंड में कोसी नदी की कोख खोदकर ओवरलोडेड ट्रक रेत ढो रहे. (Photo: ITG)

दर्जनों ट्रैक्टर और डंपर, सैकड़ों मजदूर... ये महालूट की खदान है. यहां कानून का राज नहीं, यहां सरकार का शासन नहीं. यहां माफियाओं के मुंह से निकले शब्द ही कायदे और कानून बन जाते हैं. क्योंकि यहां सरकार सिर्फ कठपुतली है और हुकूमत माफिया चलाते हैं. नोट छापने वाली लूट की खदान के खिलाफ जुबान खोलने का मतलब है- मौत को सीधी दावत देना.

आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर पहुंचे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से 10 वर्षों तक विधायक रह चुके हैं. उसी उधम सिंह नगर में आजतक ने 'ऑपरेशन सरकार' चलाकर अवैध खनन का सच दिखाया. आजतक के खुफिया कैमरे में खनन माफियाओं का स्याह सच कैद हुआ, जो होश उड़ा देने वाला है.

आजतक के पास पुख्ता जानकारी थी कि उधम सिंह नगर में पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे कैलाश रिवर बेड मिनरल्स नाम की कंपनी कोसी नदी में खुलेआम अवैध खनन में जुटी हुई है. ये वही कंपनी है जिसके पास खनन का पट्टा है और खनन करने वाली कंपनियों की निगरानी का ठेका भी. यानी खनन के काले धंधे का पूरा सरकारी बंदोबस्त पहले से मौजूद है, जो आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में कैद हो गया. सभी हदें और कानून को ताक पर रखकर खनन माफिया कोसी नदी की बर्बादी का खेल खेल रहे हैं और स्थानीय प्रशासन आंखें बंद करके बैठा है. न तो सरकार को ओवरलोड डंपर नजर आते हैं, न ही ट्रैक्टर और गाड़ियां.

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आजतक के कैमरे में कैद हुआ डराने वाला सच

आजतक की टीम जैसे ही खनन वाले इलाके में पहुंची, एक डराने वाला सच हमारे कैमरे में कैद हुआ. हमारी मौजूदगी की भनक खनन माफियाओं को लग चुकी थी. खनन माफिया से जुड़े गुर्गों ने हमें घेर लिया. हमारे अंडरकवर रिपोर्टर और हमारी गाड़ी की तस्वीरें खींची गईं और हमारे साथ पूछताछ शुरू हो गई. अंडरकवर रिपोर्टर नितिन जैन और कैमरामैन इमैनुअल पर दबाव बनाने की कोशिश की गई. हमारे साथ कुछ भी हो सकता था. लेकिन जैसे ही खनन माफियाओं को पता चला कि पड़ताल करने पहुंची टीम आजतक की है, तो उनके तेवर ढीले पड़ गए.

भारत में प्रकृति से खिलवाड़ एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. अदालतें कई बार इसको लेकर सख्त फैसले सुना चुकी हैं. फिर भी कैसे नदियों को खोदकर खनन का खिलवाड़ चल रहा है. आज हम सरकार की नाक के नीचे चल रहे अवैध खनन का ऐसा सच दिखा रहे हैं, जिससे साबित हो जाता है कि कुदरत हम पर क्यों कहर बनकर टूट रही है. आजतक के कैमरे पर कई खनन माफिया कैद हुए हैं, जो कानून की धज्जियां उड़ाकर उत्तराखंड में उधम सिंह नगर की बाजपुर तहसील से गुजरने वाली कोसी नदी की कोख पर वार कर रहे हैं.

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देश में 10-15 वर्षों में 3 हजार छोटी नदियां लुप्त

उत्तर और मध्य भारत की अधिकांश नदियों का उथला होते जाना, थोड़ी सी बरसात में उफन जाना, तटों के कटाव के कारण बाढ़ आना, नदियों में जीव-जंतु कम होने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना और बदबू आना- ऐसे कई कारण हैं, जो मनमाने रेत उत्खनन से जल स्रोतों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर हैं. आज हालात ये हैं कि कई नदियों में न जल प्रवाह बच रहा है, न रेत. सभी जानते हैं कि देश की बड़ी नदियों को विशालता देने का काम उनकी सहायक छोटी नदियां करती हैं. बीते एक-डेढ़ दशक में देश में कोई तीन हजार छोटी नदियां लुप्त हो गईं. इसका असल कारण मौसमी छोटी नदियों से बेतहाशा रेत निकालना था, जिससे उनका उद्गम और बड़ी नदियों से मिलन का रास्ता बंद हो गया. देखते-देखते वहां से पानी रूठ गया. 

अब आजतक नदियों के साथ हो रहे खिलवाड़ पर सबसे बड़ी दस्तक दे रहा है. आजतक की पहली पड़ताल उत्तराखंड में उधम सिंह नगर की बाजपुर तहसील में शुरू होती है. यकीन मानिए, यहां अवैध खनन का खौफनाक खेल और करोड़ों का धंधा सरकार-प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है. रिवर बेड में यानी बीच नदी में घुसकर ट्रैक्टरों से अवैध खनन कराया जा रहा है. कोसी नदी की कोख खोद-खोदकर ओवरलोडेड ट्रक रेत ढो रहे हैं. आजतक के रिपोर्टर नितिन जैन ने जब इस अवैध खनन को कैमरे में कैद करना शुरू किया तो खबर खनन माफियाओं तक पहुंच गई. इसके बाद अवैध खनन साइट पर ठेकेदार पहुंचने लगे, वो भी बिना नंबर की गाड़ियों से. इनमें से कई नकाबपोश थे. ताकि वो आजतक की टीम को उलझा सकें और अवैध व्यवस्था साफ कर सकें. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि आजतक के रिपोर्टर पहले ही सब कुछ कैमरे में कैद कर चुके हैं.

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आजतक की इस पड़ताल से खनन माफियाओं में भगदड़ मच गई. उधम सिंह नगर की बाजपुर तहसील में कोसी नदी पर कैलाश रिवर बेड के खनन इंचार्ज या ठेकेदार तेजा भी साइट पर पहुंचे. आजतक की टीम का कैमरा चालू रहा, ओवरलोड ट्रकों को कैद करता रहा. तभी ठेकेदार तेजा से बात शुरू हुई.

रिपोर्टर: थोड़ा मुझे बता देंगे... कैसे क्या करते हैं?

तेजा: मैनुअल लोडिंग है... बाकी का कुछ नहीं है.

रिपोर्टर: नहीं... ओवरलोडेड गाड़ी कैसे जा रही हैं?

तेजा: ओवरलोडिंग नहीं है... ओवरलोडिंग की बात ही नहीं है.

रिपोर्टर: साफ दिख रहा है, ट्रकों के टायर दबे पड़े हैं... बीच में गाड़ी खड़ी है. सांस फूल रही है गाड़ी की. ये ओवरलोडेड नहीं तो क्या है? रिवर बेड के अंदर से ट्रैक्टर जा रहे हैं.

तेजा: ये भी हमारे पट्टे में है.

रिपोर्टर: पट्टे का मतलब ये तो नहीं है, कानून कुछ तो कहता होगा. कोई कागज तो होगा ना आपके पास?

तेजा: कागज तो है ही सर... अभी हमारे ऑफिस में होगा.

रिपोर्टर: साइट पर भी तो कोई कागज होना चाहिए.

तेजा: अभी तो नहीं है.

तेजा के पास न कोई कागज था, न ही साइट पर, न अवैध खनन और ओवरलोडेड ट्रकों पर कोई जवाब. कानून कहता है कि नदी को तीन मीटर से ज्यादा गहरा न खोदो, जल प्रवाह अवरुद्ध न करो. रेत नदी का पानी साफ रखती है और भूजल सहेजती है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट कई बार निर्देश दे चुके हैं. एक बार आंध्र प्रदेश सरकार पर 100 करोड़ जुर्माना भी लगा. लेकिन अवैध खनन रुकता नहीं. खनन माफिया कानून को ठेंगे पर रखते हैं. आजतक की टीम कोसी नदी पर पहुंची तो माफियाओं ने 15-20 गुंडों से धमकाने की कोशिश की और दबंगई दिखाई कि सब ठीक चल रहा है.

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पूर्व जिला पंचायत सदस्य रोशन ने आजतक से बातचीत में कहा, 'सरकार ने यहां लोगों को पट्टे दे रखे हैं... सब पट्टे पर ही काम चल रहा है... रूल-रेगुलेशन का पता नहीं, लेकिन यहां माइनिंग ठीक-ठाक चल रही है... रोजगार मिल रहा है... कैलाश रिवर बेड कंपनी है. यहां ये रेत पहले लोकल में जाता है, फिर क्रश होकर यूपी चला जाता है.'

जहां नदियों को सहेजने की जरूरत है, वहां खिलवाड़ बेहिसाब है. उत्तराखंड में कोसी नदी में ट्रैक्टर ऐसे लगाए गए जो जेसीबी से भी घातक हैं. आजतक की टीम एक और साइट पर पहुंची, वहां भी ओवरलोडेड ट्रक. साइट इंचार्ज शाकिर से पूछा तो उसने माना कि गाड़ियां ओवरलोड होकर निकलती हैं.

रिपोर्टर: ओवरलोडेड गाड़ियां आ रही हैं.

शाकिर: आप सही कह रहे हैं, ओवरलोड गलत है.

रिपोर्टर: आपके यहां कोई बोर्ड भी नहीं है.

शाकिर: अभी तो बोर्ड लगेंगे, शुरुआत ही हुई है.

रिपोर्टर: कितने साल का पट्टा है.

शाकिर: पांच-पांच साल के हैं.

रिपोर्टर: तुमने तो अभी खत्म कर दी (कोसी नदी).

शाकिर: ये तो पहले से ही खत्म है.

शाकिर: हम ही चार-पांच लोग हैं जो रॉयल्टी काटते रहते हैं.

रिपोर्टर: पट्टा मिल गया तो छूट मिल गई... नदी को मार दो?

शाकिर: आपकी बात सही है.

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अनुमति से दोगुनी-तिगुनी गहराई तक खनन

बड़ी बात ये कि अनुमति से दोगुनी-तिगुनी गहराई तक खनन हो रहा है. बीच नदी में मशीनों से बेखौफ खनन. सवाल ये कि इसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी? पट्टे तो जारी हो जाते हैं, फिर प्रशासन नजर नहीं डालता. नतीजा कोसी नदी की ड्रोन तस्वीरें बता रही हैं कि अवैध खनन ने नदी के साथ कैसा खिलवाड़ किया है. ऑपरेशन सरकार में आपने देखा कैसे जिला प्रशासन की मिलीभगत से उधम सिंह नगर में अवैध खनन का पूरा खेल चल रहा है. खनन माफिया और सरकार सिस्टम का सिंडिकेट मिलकर काम कर रहा है. हरिद्वार से लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में अवैध खनन को लेकर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया था. लेकिन सरकारी संरक्षण में अवैध खनन का काला खेल जारी है.

एनवायरनमेंट क्लियरेंस का सरेआम उल्लंघन

खनन करने वाली कंपनी 'कैलाश रिवर बेड मिनरल्स' को मिले एनवायरनमेंट क्लियरेंस की शर्तों के मुताबिक साइट पर 61 से ज्यादा मजदूर नहीं, 35 ट्रकों से ज्यादा नहीं, ओवरलोडिंग पर सख्त मनाही, साल में 250 दिनों से ज्यादा खनन नहीं होना चाहिए. लेकिन सईया भये कोतवाल तो डर काहे का... कैलाश रिवर बेड मिनरल्स ने वैध कागजात के नाम पर पूरा इलाका कब्जा रखा है. एनवायरनमेंट क्लियरेंस का सरेआम उल्लंघन हो रहा है. खनन के नाम पर कोसी नदी की जलधारा बदली गई. नदी के अंदर खनन- उत्तराखंड उपखनिज नियमावली 2023 के नियम 49(क) और 38(छ) का उल्लंघन है.

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बड़ी बात ये कि पट्टे वाले इलाके में कोई सीमा चिह्नित नहीं. खंभे के चारों तरफ कई मीटर की गहराई तक खुदाई- नियमों का खुला उल्लंघन. ये अंधेरगर्दी नहीं तो क्या? माफियाओं ने ब्रिज के पिलर के आसपास रेत खाली कर दी- लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. चंद महीने पहले हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में अवैध खनन को लेकर धामी सरकार पर उंगली उठाई थी. मतलब खनन माफियाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं. इसमें सफेदपोश भी शामिल हैं. अब देखना ये है कि मुख्यमंत्री धामी देवभूमि के दुश्मनों और कोसी के दोषियों के खिलाफ कब कड़ा एक्शन लेंगे.

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