उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और बीजेपी के ओबीसी चेहरा केशव प्रसाद मौर्य एक कामयाब राजनेता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर केशव मौर्य ने जीत दर्ज की थी, 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में डिप्टी सीएम बने. अब केशव प्रसाद मौर्य चाहते तो हैं कि बेटा योगेश मौर्य राजनीति में आए लेकिन पिता की बदौलत नहीं बल्कि अपनी मेहनत से राजनीति में जगह बनाएं.
हालांकि केशव मौर्य फिलहाल चुनाव प्रचार और पिछड़ा सम्मेलन करते हुए पूरे उत्तर प्रदेश में घूम कर पिछड़ों को जोड़ने में लगे हैं. केशव मौर्य पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी पूर्वी उत्तर प्रदेश की है, जहां इस बार बीजेपी ने पिछली बार से ज्यादा पिछड़ों पर दांव लगाया है.
केशव मौर्य और उनके परिवार से आजतक ने खास बातचीत की. इस बातचीत के दौरान केशव मौर्य के परिवार ने राजनीति से जीवन में आए बदलावों और बेटे योगेश मौर्य के राजनीति में आने को लेकर अपनी राय साझा की. इसके अलावा परिवारवाद को लेकर अपनी राय रखी.
बेटे की राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह संगठन या पार्टी में बड़े पद पर हैं तो सिर्फ इसलिए उनके बेटे को भी राजनीति में आने का हक है, वह इसका समर्थन नहीं करते हैं उनका मानना है कि यदि परिवार के किसी सदस्य को अगर राजनीति में आना है तो उन्हें मेहनत करनी चाहिए और खुद ही अपना मुकाम बनाना चाहिए. उन्हें मेहनत इतनी करनी चाहिए कि संगठन उनके नाम पर विचार करे और जनता उनको आशीर्वाद दें.
बातचीत में केशव मौर्य ने कहा कि राजनीति में संगठनात्मक कार्यों की प्राथमिकता परिवार से अधिक होती है. परिवार प्राथमिकता नहीं रह जाता. चाहते हुए भी परिवार के लिए वक्त नहीं मिलता पर वक्त मिलने पर परिवार के साथ वक्त जरूर बिताते हैं.केशव मौर्य की पत्नी ने बताया कि उन्हें पति केशव से कोई शिकायत नही है, परिवार में तालमेल बनाए रखने के लिए वह घर में पति का इंतजार भी करती हैं और वक्त मिलता है तो फील्ड में भी साथ वक्त बिताती हैं.बेटे के राजनीति में जगह बना पाने पर कहा कि वह बेटे साथ हैं और उनका आशीर्वाद बेटे के साथ है. वहीं केशव मौर्य की मां का कहना है कि पोते की किस्मत में होगा तो नेता बन जाएगा.
केशव ने यह भी बताया कि कैसे उनका परिवार बचपन में गरीबी से जूझता रहा है. कैसे उनका परिवार चाय बेचकर और अखबार बेचकर गुजारा करता था. वह खुद कैसे पिता की दुकान पर चाय बेचते थे और अखबार बांटते थे. लेकिन आज भी उनके अंदर गरीबों के लिए जो दर्द भरा है वह सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद गरीबी देखी है.
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