यूपी के रामपुर में स्थित मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया. जुलाई महीने में सपा नेता आजम खान की इस यूनिवर्सिटी को दर्जा देने के बाद डॉ. कुरैशी ने अब कहा है कि जब वह यूपी के राज्यपाल थे तो उन्हें इस बाबत खूब डराया-धमकाया गया. उन्होंने कहा कि फिर भी जौहर यूनिवर्सिटी के बिल पर हस्ताक्षर कर उन्होंने नाइंसाफी और जुल्म के खिलाफ काम किया.
कुरैशी बुधवार को जौहर यूनिवर्सिटी में याद-ए-जौहर कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, 'जब उत्तर प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए मैंने जौहर यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक किरदार के बिल पर हस्ताक्षर किया तो मुझे डराया और धमकाया गया, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं. मुझे पद और ओहदे का लालच नहीं है. सच्चाई का झंडा हमेशा बुलंद रहेगा. जौहर यूनिवर्सिटी का विरोध करने वालों का मुंह काला होगा. वह कटघरे में खड़े होंगे.' उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी देखकर मैं हैरत में हूं. कैबिनेट मंत्री आजम खान को तारीख कभी भी भुला नहीं सकेगी.
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, कार्यक्रम में मौजूद कैबिनेट मंत्री आजम खान ने कहा कि अजीज कुरैशी साहब ने यूनिवर्सिटी के बिल पर हस्ताक्षर कर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है, जिसे चुका नहीं पाएंगे. यह नस्लों पर अहसान है. तीन राज्यपाल बदल गए. उनके दिल को हमारे आंसू भी नहीं पिघला सके. खान ने कहा, 'हम उनके पास जाकर रोते थे. राज्यपाल कहते थे कि यह तालीमी इदारा नहीं, साजिश है. बिल गुमनामी के खयाल में चला गया था, जिस पर कभी हस्ताक्षर नहीं होते. हमने दुआ मांगी कि अजीज कुरैशी साहब को चार्ज मिल जाए और हमारी दुआ कुबूल हुई.'
गौरतलब है कि पूर्व राज्यपाल राजेश्वर और बीएल जोशी ने इस यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा के विधेयक को इसलिए रोक रखा था क्योंकि इसमें संविधान के अनुसार, अल्पसंख्यक दर्जे के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लिए जाने का प्रावधान नहीं था. इस विधेयक को लेकर कई वर्षों से आजम खान और राजभवन के बीच रिश्ते तल्ख बने हुए थे.