उत्तर प्रदेश में पौधारोपण अभियान के तहत भ्रष्टाचार का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. प्रधान महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में पकड़ में आने वाले इस मामले में पता चला है कि साल 2017, 2018 और 2019 में विभाग ने जो पौधारोपण के बिल पेश किए उसमें पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदने और दूसरे कार्यों के लिए जिन जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया उनके नंबर दरअसल स्कूटर और मोटरसाइकिल के थे. यानी वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोदने के लिए जेसीबी मशीन का नहीं बल्कि स्कूटर का इस्तेमाल किया गया और उसकी एवज में सरकार से लाखों रूपयों का बिल भी लिया गया.
जांच में यह भी पता चला है मिट्टी का कार्य करने के लिए, पौधों के लिए गोबर ढोने के लिए और पौधों का सिंचाई करने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया वह दरअसल, स्कूटर और मोटरसाइकिल के नंबर निकले. जांच में अब तक कुल 662 फर्जी वाउचर पकड़ में आए हैं. जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक सरकार महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के बाद 18 डीएफओ यानी वन विभाग के प्रभाग अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है. जिन लोगों के नाम पर यह आरोप हैं उनमें झांसी के तत्कालीन डीएफओ मनोज शुक्ला, ललितपुर के डीएफओ वीके जैन, हमीरपुर के डीएफओ सुंदर पांडे, लखनऊ के डीएफओ मनोज सोनकर, बलिया के डीएफओ महावीर, डीएफओ जीपी सिंह और डीएफओ डॉ अनिल पटेल शामिल हैं. यह सब पिछले दो-तीन सालों में संबंधित जिलों में तैनात रहे हैं. इस कारनामे के सामने आने के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में इन सभी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है.