यह बात शायद अब यूपी सरकार को समझ में आ गई है कि राज्य की खराब कानून-व्यवस्था दामन पर बदनामी के ऐसे दाग लगा देती है, जिसे छुड़ाना आसान नहीं होता. यही वजह है कि बजट में सूबे की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हर संभव कदम उठाने की बात कही गई है और इसके 12,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पिछले साल के बजट से यह धनराशि करीबन 2,000 करोड़ रुपये ज्यादा है.
अपराध पर रोकथाम और वारदात के खुलासे के लिए जिलों में बनी क्राइम ब्रांच को मजबूत करने के लिए सरकार ने 16 करोड़ 51 लाख 67 हजार रुपये की व्यवस्था की है. वहीं, पुलिस जांच में वैज्ञानिक तौर-तरीकों को बढ़ावा देने के लिए मुरादाबाद, इलाहाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, झांसी और कानपुर में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निर्माण के लिए 40 करोड़ की व्यवस्था की गई है.
प्रदेश के सभी थानों में मीटिंग हॉल और विजिटिंग रूम के निर्माण के लिए 50 करोड़ का बजट है. घने और संकरे इलाकों में गश्त के लिए 90 लाख रुपये खर्च करके पुलिस को साइकलें दी जाएंगी. दंड विधि (संशोधन) अधिनियम-2013 के तहत हर थाने में एक महिला पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हमेशा मौजूद रहेगा. डीजीपी कार्यालय में महिला अधिकारी के अधीन विशेष प्रकोष्ठ और हर जिले में इसी तरह एक-एक प्रकोष्ठ बनेगा.
सभी जिलों में साइबर क्राइम यूनिटों के लिए 138 डिप्टी एसपी और एसआई को प्रशिक्षित किया गया है. थाने में बाल कल्याण अधिकारी और विशेष किशोर पुलिस इकाई बनाई जाएगी. जेलों को सुदृढ़ बनाने के लिए करीब 200 करोड़ का बजट रखा गया है. इसके तहत रामपुर, इटावा और मुरादाबाद की जेलों को 60 करोड़ रुपये खर्च करके शहर के बाहर शिफ्ट किया जाएगा.
जेलों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ 32 लाख 82 हजार रुपये खर्च करके अत्याधुनिक डिटेक्टर एफजी-1 सिक्योरिटी पोल स्थापित किए जाएंगे.