उत्तर प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2015-16 को किसान वर्ष के रुप में मनाएगी. अखिलेश सरकार ने यह एलान बजट पेश करने के बाद किया. सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश की लगभग 70 फीसदी आबादी कृषि पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर है. इसी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना चौथा बजट पेश किया है.
उत्तर प्रदेश के कबीना मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने बजट सत्र के बाद जानकारी देते हुए बताया कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने हमेशा गांव-गरीब और किसानों के हित को प्राथमिकता में रखा. उसी परंपरा को निभाते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2015-16 को 'किसान वर्ष' के रूप में मनाने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री की मान्यता है कि खेती और किसान को मजबूत किया जाना हमारे आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक है. चौधरी के मुताबिक सरकार ने सभी वर्गों के हित का ख्याल रखा है.
बेहतर वित्तीय प्रबंधन एवं विभिन्न क्षेत्रो में उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक नई कार्य संस्कृति का सृजन किए जाने पर मुख्यमंत्री ने जोर दिया. कृषि, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, शिक्षा, सिंचाई और कानून व्यवस्था की दिशा में समाजवादी सरकार ने जो व्यवहारिक कदम उठाए हैं उसके फलस्वरूप प्रदेश की विकास दर 5 प्रतिशत आंकलित हुई है जो देश की विकास दर से 4.7 प्रतिशत अधिक है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के इस बजट में 2100 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. ग्रामीण क्षेत्रो में 16 घंटे और शहरी क्षेत्रों को 22 घंटे बिजली सप्लाई दिए दाने का लक्ष्य है. प्रदेश में 1188 करोड़ की लागत से 209 नए बिजली उपकेन्द्रो के निर्माण होगा. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के लिए बजट में 425 करोड़ और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के लिए 3,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं. समाजवादी पेंशन योजना हेतु 2727 करोड़ रुपये का प्रावधान है. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की पेंशन 6 हजार से बढ़ाकर प्रतिमाह 10 हजार रुपये और स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन 8,811 से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रतिमाह करने की घोषण भी अखिलेश सरकार ने की है.