इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, सारी दुनिया को मुहब्बत की निशानी दी है... जाहिर है जनाब दुनिया भर से लोग मुहब्बत की पहचान माने जाने वाले ताजमहल के दीदार करने यूहीं नहीं दौड़े चले आते हैं. कुछ तो बात है सफेद संगमरमर से बने इस ताज में. अब ताजमहल देश के सब स्मारकों का ताज है तो इसकी खूबसूरती को संजोए रखने के साथ-साथ इसके आसपास का इलाका भी साफ चकाचक दिखना चाहिए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा आए तो उनके कार्यक्रम में साफ-सफाई को खास रणनीति के तहत जोड़ा गया. ताज के वेस्ट गेट पर योगी के स्वच्छता अभियान को हिट कराने के लिए प्रशासनिक अमला बीते कई दिनों से जुटा हुआ था. एक तरफ आगरा को चमकाया जा रहा था, वहीं ताज के वेस्ट गेट पर कुछ और ही कहानी बयां हो रही थी. योगी के आगमन से एक दिन पहले यहां कूड़ा बड़ा स्टाइल से बिखरा दिखाई दिया. अब ये भी जान लीजिए कि पास के एक दुकानदार ने क्या दावा किया- 'यहां तीन दिन से सफाई नहीं हुई, योगी जी आकर सफाई करेंगें, इसके लिए कूड़ा जमा कर रहे थे ये, वरना सुबह शाम यहां सफाई होती है.'
अब खैर गुरुवार का दिन भी आ गया. योगी जी भी आ गए और ताज के वेस्ट गेट पर सफाई का अभियान भी शुरू हो गया. धूल का बादल उठने लगा. योगी जी के साथ स्थानीय नेता श्यामचन्द तो मानों उस बादल में बैठ आसमान में उड़ने लगे. उनकी खुशी टॉप गेयर पर थी. चेहरे पर चमक, खींसे काढ़ते हुए श्यामचन्द मुख्यमंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए झाड़ू पर झाड़ू जो लगा रहे थे.
यहीं आलम बाकी नेताओं का भी था जो योगी के साथ स्वच्छता अभियान में शामिल होने को किसी लाटरी से कम नहीं मान रहे थे. धूल के बादल के बीच अगर सर पर सफेद टोपी है तो समझिए नेता सीनियर और अगर टोपी पीली तो जूनियर.
एक और खास बात थी... सफाई का हथियार यानी की झाड़ू भी एक दम हाई प्रोफ़ाइल थी. झाड़ू नई नकोर तो थी हीं उनके बाल भी बड़े बड़े और उम्दा क्वालिटी के थे. झाड़ू का नसीब देखिए उसके हत्थे को भी सैनिटाइजर से पाक-साफ किया जा रहा था. झाड़ू भी सोच रही होगी कि इतनी किस्मत तो उसकी दिल्ली में 'आम आदमी' के राज में भी नहीं पलटी.
अब टेप थोड़ा रिवाइंड करें तो सुबह से ही ड्रामा शुरू था. कड़क वर्दी में नौकरशाह सफाई कर्मचारियों को ऑर्डर दे रहे थे. अरे भाई ! सूबे के मुखिया सफाई करेंगे तो उसके लिए तो कूड़े को भी तो खास होना पड़ेगा. तो कुड़े में से चुन चुन कर पत्थर, चप्पल , कांच बीना जा रहा था. एक शख्स पूरे मनोयोग से मैदान के कोने कोने में चूना फेर रहा था. आखिर सफेदी की चमकार भी तो दिखनी चाहिए थी.
नजर दौड़ाई तो मैदान में दो कूड़ेदान कहीं से लाकर रखे भी दिखाई दे गए. ये ठीक वैसे ही नजर आ रहे थे जैसे किसी एस्किमो को अनजान जगह पर लाकर बैठा दिया गया हो. कूड़ेदान पर पोता रंग ताजा था और उस पर लिखा स्वच्छता अभियान भी... कूड़ेदान नए थे सिर्फ ड्रामा पुराना...
फिर चले आइए आखिरी सीन पर... धूल के बादल उड़ते रहे...योगी झाड़ू लगाते-लगाते साइड में मौजूद मीडिया स्टैंड तक पहुंच गए. योगी की झाड़ू तेज-तेज चल रही थी... मीडियाकर्मियों की धड़कन भी बढ़ रही थी... रनिंग कमेंट्री चरम पर थी. योगी का मास्टर स्ट्रोक उन्हें लॉन्ग शॉट से क्लोज अप पर ले आया. कुछ नेता योगी को देख अपनी झाड़ू और तेज-तेज मारने लगे... कुछ श्यामचन्द की तरह झाड़ू लगाने के जोश में पूरी तरह दंडवत ही हो गए. ये स्वच्छ भारत मिशन का 'सीन आफ द डे' था.
अफसोस की बात है कि स्वच्छ भारत मिशन के पोस्टरों में गांधी जी का चश्मा तो दिखता है. लेकिन स्वच्छता अभियान असल में सियासत के चश्मे से ही चलता दिखता है. यानी...कूड़ा सजाइये, झाड़ू लगाइये, सेल्फी खींचिए और फिर भूल जाइए...