scorecardresearch
 

मंदिर-मठ-महंत लगाएंगे यूपी में नैया पार? आंकड़े जुटा रही BJP

सपा-बसपा गठबंधन को मात देने के लिए बीजेपी अध्यक्ष ने मास्टरप्लान बनाया है. इसके जरिए जमीनी स्तर पर बूथ कमेटियां जहां बनाई जा रही हैं वहीं हिंदुत्व कार्ड के लिए मंदिर, मठ और महंत के आंकड़े भी जुटाने का काम बीजेपी ने शुरू कर दिया है.

Advertisement
X
पूजा करते अमित शाह (फाइल फोटो)
पूजा करते अमित शाह (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने सपा बसपा के गठजोड़ की काट तलाश ली है. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अपनी तैयारी में जुट गई है. बीजेपी ने जमीनी स्तर पर अपने आधार को मजबूत करने के लिए सूबे में जहां एक लाख साठ हजार बूथ कमेटियां बनाई हैं. वहीं, हिंदुत्व की बिसात बिछाने के लिए मंदिर, मठों, महंत और पुजारियों के आंकड़े भी जुटाने का काम शुरू कर दिया है.

बीजेपी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह से जीत हासिल करने के लिए माइक्रो लेवल पर अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. इसके लिए बीजेपी बूथ स्तर पर कमेटियां बना रही है. इसके लिए हर बूथ पर कम से कम दो दलित चेहरे शामिल किए जा रहे हैं.

बीजेपी माइक्रो लेवल की चुनावी तैयारियों में अब हर बूथ में शामिल मंदिरों और मठों और महंत का आंकड़ा जुटा रही है. इसके पीछे बीजेपी की मंशा साफ है कि चुनाव में इनके इस्तेमाल से वह वंचित ना रह जाए.

Advertisement

हर बूथ क्षेत्र में आने वाले बड़े मंदिरों और मठों के पुजारियों और महंतों का डाटा भी बीजेपी के माइक्रो लेवल बूथ मैनेजमेंट का हिस्सा है. बीजेपी ने अपने बूथ के पदाधिकारियों को बीजेपी एक परफॉर्मा दे रही है, जिसमें ऐसे आंकड़ों को भरने की व्यवस्था रखी है.

बीजेपी ने अभी तक एक लाख साठ हजार बूथों पर अपनी बूथ कमेटियां बना ली हैं. इन बूथ कमेटियों में एक बूथ का अध्यक्ष और साथ-साथ कई सदस्य रखे गए हैं. इनकी जिम्मेदारी इन तमाम आंकड़ों को जुटाना है ताकि जरूरत पड़ने पर चुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा सके.

उत्तर प्रदेश के बीजेपी के सह-संगठन प्रभारी जेपीएस राठौर ने आजतक को बताया कि मंदिर, मठों, महंत और पुजारियों के आंकड़े जुटाने का मकसद एकमात्र यह है कि चुनाव में संपर्क करते वक्त ऐसे लोग छूट न जाए. इसके अलावा ये माइक्रो लेवल पर 'संपर्क फॉर समर्थन' का हिस्सा भी है.

जेपीएस राठौड़ ने इस कवायद के पीछे किसी दूसरी मंशा या धर्म के चुनाव में इस्तेमाल की आशंका को खारिज कर दिया और कहा कि ये माइक्रो लेवल पर संपर्क फॉर समर्थन जैसा है.

इसके अलावा हर बूथ के पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपने बूथ क्षेत्र में आने वाले सबसे प्रभावशाली लोगों का नाम के आंकड़े भी भेजें. इसके अलावा हर बूथ पर पिछड़ी जाति के लोगों और दलित जातियों के लोगों का आंकड़ा भी जुटाया जाए.

Advertisement

BJP ने यह भी तय किया है कि सभी बूथ कमेटियों में कम से कम 2 दलित चेहरे जरूर होंगे ताकि ग्रास रूट और माइक्रो लेवल पर दलितों की भागीदारी संगठन में सुनिश्चित की जा सके.

बीजेपी का सारा जोर बूथ प्रबंधन, माइक्रो लेवल पर बूथ के संगठन की तैयारियां, साथ ही पन्ना प्रमुखों पर जोर देने की है. ऐसे में चाहे मंदिर मठ या फिर पुजारियों और महंत का आंकड़ा हो या फिर दलितों और पिछड़ों को जोड़ने की कवायद, यह सब 2019 में एक होते विपक्ष की चुनौती को ध्यान में रखकर की जा रही है.

बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव यूपी की 80 संसदीय सीटों में से 71 जीती थी. जबकि दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल को मिली थी. इस तरह बीजेपी गठबंधन ने 73 सीटें हासिल की थी. इस तरह से 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीटों में से बीजेपी ने 312 सीटें मिली थी. इसके अलावा उसके सहयोगी अपना दल को 9 और ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4 सीटें मिली थी. इस तरह से बीजेपी गठबंधन ने 325 सीटों पर जीत हासिल की थी.

Advertisement
Advertisement