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TMC सांसद केडी सिंह समेत 7 पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी का केस दर्ज

आरोपियों ने 2010 में अल्केमिस्ट इंफ्रा रीयल्टी लिमिटेड और अलकेमिस्ट टाउनशिप लिमिटेड नाम की कम्पनी का ऑफिस खोला था. इसकी कानपुर में भी कई शाखाएं खुली थी जिसके चेयरमैन TMC के राज्यसभा सांसद केडी सिंह थे. इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में निवेशकों को 18% ब्याज के साथ निवेश की रकम लौटाने का या फिर उसके बदले जमीन दिए जाने का वादा किया गया था.

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धोखाधड़ी में TMC सांसद केडी सिंह पर मुकदमा दर्ज
धोखाधड़ी में TMC सांसद केडी सिंह पर मुकदमा दर्ज

  • एस्टेट कंपनियों में निवेश करवाने के नाम पर की गई धोखाधड़ी
  • निवेशकों को 18% ब्याज की रकम लौटाने का किया था वादा

आम लोगों से धोखाधड़ी कर अरबों रुपए हड़पने के आरोप में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद केडी सिंह और उनके 6 सहयोगियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. इन सभी पर आरोप है इन्होंने मिलकर देश भर में करीब 15 लाख लोगों से 25 हजार करोड़ रुपए ठगे हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के कानपुर के करीब 10 हजार निवेशक शामिल हैं. इन निवेशकों का 1000 करोड़ रूपए से ज्यादा रुपए इस ठगी में गए हैं.

दरअसल यह धोखाधड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश करवाने के नाम पर की गई. केडी सिंह और उनके छह सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों को दो से चार गुना रकम करने का झांसा देकर उनसे लाखों रुपए ठग लिए और धीरे-धीरे यह रकम देशभर के 15 लाख लोगों से करीब 25 हजार करोड़ बन गई.

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आरोपियों ने 2010 में अल्केमिस्ट इंफ्रा रियल्टी लिमिटेड और अलकेमिस्ट टाउनशिप लिमिटेड नाम की कम्पनी का ऑफिस खोला था. इसकी कानपुर में भी कई शाखाएं खुली थीं जिसके चेयरमैन राज्यसभा सांसद केडी सिंह थे. इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में निवेशकों को 18% ब्याज के साथ निवेश की रकम लौटाने का या फिर उसके बदले जमीन दिए जाने का वादा किया गया था.

यही नहीं निवेशकों को तमाम तरीके से छूट और पैसे को दोगुना, तीन गुना करने का भी लालच दिया गया. इसके चलते लोगों ने अपने रिश्तेदार, मित्रों समेत कई लोगों से इसमें पैसा लगवाया लेकिन बाद में कंपनी अपने वादे से मुकर गई और तमाम लोग फरार हो गए. कानपुर में मुकदमा दर्ज होने के बाद इसकी जांच शुरू हो गई है. इनमें से तमाम आरोपी फिलहाल भूमिगत हैं.

जानकारी के मुताबिक उनकी इस जालसाजी में शामिल अन्य लोग पुलिस की गिरफ्त में जल्द आ सकते हैं. साथ ही यह मामला बड़े निवेश का है लिहाजा इस मामले को इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को सौंपा जा सकता है.

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